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Bihar News: चौं‍किए नहीं असली की तरह दिखते पर नकली हैं ये फूल, PM मोदी भी कर चुके तारीफ

प्रो संजय कागज से ऐसा गुलाब और केकटस के पौधे और कलम आदि बनाते हैं कि लोगों को असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। कला की बारीकियों का नायाब तरीका कोई इनसे सीखे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 09:17 AM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 09:37 AM (IST)
Bihar News: चौं‍किए नहीं असली की तरह दिखते पर नकली हैं ये फूल, PM मोदी भी कर चुके तारीफ
Bihar News: चौं‍किए नहीं असली की तरह दिखते पर नकली हैं ये फूल, PM मोदी भी कर चुके तारीफ

भागलपुर [अमरेंद्र कुमार तिवारी]। अपनी पहचान बनाने के लिए अगर कुछ अलग हट कर कुछ करने की जिद और जज्बा हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाता। अपने ईमानदार प्रयास से कुछ ऐसा ही कर दिखाया है तिलकामांझी भागलपुर विवि वनस्पति विज्ञान विभाग के सेवानिवृत प्राध्यापक प्रो. संजय कुमार झा ने। उन्‍होंने कागज से कलम, विभिन्न प्रकार के फूल और कैकटस को जो जीवंत रूप दिया, उसके सब कायल हो गए। प्रो. झा के इस हुनर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन और लोकप्रिय गायिका आशा भोसले तक ने प्रशंसा की है।

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अब प्रो. झा किसी पहचान के मोहताज नहीं रह गए हैं। उन्हें एक शिक्षक के साथ-साथ कागज के फूलों वाले कलाकार के रूप में भी सब जानते हैं। प्रो. झा कहते हैं कि 50-60 साल की कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल हुआ है।

असली नकली में फर्क करना मुश्किल

वे कागज से ऐसा गुलाब और कैकटस के पौधे और कलम आदि बनाते हैं कि लोगों को असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। कला की बारीकियों का नायाब तरीका कोई इनसे सीखे। पीजी वनस्पति विज्ञान विभाग में कागज से बने केकटस के मॉडल को जो इन्होंने प्रदर्शित किया है। उसकी वहां आने वाले हर कोई तारीफ करते हैं।

किशोरावस्‍था में जगी जिज्ञासा

उन्होंने इस सफर की कहानी को साझा करते हुए कहा कि किशोरावस्था में ही मोहल्ले में एक कलाकार को कागज का फूल बनाते देखा था, वे वहां के लोगों को तरह-तरह का फूल बनाकर दिखा रहे थे। मुझे भी उस कला को सीखने की चाह जगी। मैंने जब उनसे कला की तकनीकी पहलुओं को सीखना चाहा तो उन्होंने बताने से इन्‍कार कर दिया। फिर क्या था उस कला को सीखने की मेरी जिज्ञासा और बढ़ गई।

उसी वक्त से हमने शुरू कर दी अपनी कला को तरासने का सफर। कागज ने जब विभिन्न प्रकार के फूलों का आकार लेना शुरू किया तो चेहरे खिल उठे। लोग तारीफ का पुल बांधने लगे।

कई पौधों की बोनसाई बनाई, मिले कई सम्‍मान

जब तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग में अध्यापक की नौकरी मिल गई तो शोध में मेरा क्षेत्र और बढ़ गया। मेरी दिली तमन्ना थी कि ऐसा गुलाब बनाऊं जिसका असली गुलाब जैसा रंग और रूप हो। इसके लिए रंग पर भी शोध का काम किया। इस काम में बड़े भाई अक्कू झा ने भी मदद की। वे चर्चित कलाकार हैं।

अहमदाबाद के आइआइएम ने भी उनको सम्मान दिया है। ये कई अन्य जगह भी पुरस्कृत व सम्मानित किए हुए। गुलाब के बाद उन्होंने कागजों से कुकुरमुत्ते, कागजों के पंख, कागजों से बने पेड़-पौधे, गार्डन, कलम, कई पौधों की बोनसाई बनाई, जिसे देखकर लोगों को यकीन नहीं होता।

पीएम मोदी ने की थी तारीफ

प्रो. झा का बनाया हुआ एक बोनसाई पटना के बिहार संग्रहालय में भी रखा गया है। उक्त संग्रहालय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे तो उन्होंने भी कागज के बनाए गए इस बोनसाई की तारीफ की थी।


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