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बिहार : थके-हारे दारोगा को लगी थी जोर की भूख, किराये वाले कमरे पर चावल-दाल और चोखा बनाया, तभी सामने दिखे अपराधी

Bhagalpur Police बिहार पुलिस के कुछ ऐसे कारनामे होते हैं जो अक्‍सर चर्चा में रहते हैं। हम आपको भागलपुर के चार ऐसे ही कुछ घटनाओं को आपके सामने रखने का प्रयास कर रहे हैं। आप इन खबरों को पढ़ें और अंदाज लगाएं कि किनके बारे में लिखी गई है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 12:26 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 12:26 PM (IST)
बिहार : थके-हारे दारोगा को लगी थी जोर की भूख, किराये वाले कमरे पर चावल-दाल और चोखा बनाया, तभी सामने दिखे अपराधी
Bhagalpur Police : दारोगा जी ने बनाया भोजन।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। Bhagalpur Police : सिकंदर को दबाकर पोरस बनने चले थे - अपने साहसिक कारनामे के लिए चर्चा में रहने वाले एक दारोगा जी ने हाल में एक और साहसिक कारनामा कर दिखाया था। कारनामा अकस्मात हुआ, बेचारे थके-हारे अपने किराये वाले कमरे पर चावल-दाल और चोखा बनाकर रखे थे। भूख जोर की लगी थी जा रहे थे भोजन करने। तभी रास्ते में अपराधियों की धमाचौकड़ी पर नजर पड़ गई। साहस का परिचय देते हुए अकेले भिड़ कर हथियार समेत उन्हें दबोच कर नजदीकी थाने को सौंप कमरे पर चले आए। इधर वह चावल-दाल-चोखा खा रहे थे उधर एक थानेदार उन बदमाशों को दबोचने का श्रेय खुद लेते हुए उनकी गिरफ्तारी की बाकायदा अलग कहानी की गढ़ चुके थे। इन बातों से दोनों अनिभिज्ञ थे कि उस घटनाक्रम पर तीसरी आंख की नजर थी। हकीकत जान साहब ने साहसी दारोगा की खूब मान बढ़ाया। इधर कहानी गढऩे वाले दारोगा कागज पर सिकंदर को दबाकर पोरस बन गए थे।

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अभी और निकलेंगे गड़े मुर्दे

साहसिक निर्णय लेने वाले सीधे दिखने वाले बड़े साहब अभी और गड़े मुर्दे निकालने की तैयारी में हैं। अभी तो पंडित जी के कारनामे की एक पोटली खोली नहीं कि सिल्क सिटी में उन सफेदपोशों में बेचैनी होने लगी है कि क्या पता हमारी भी कलई न खुल जाए। हाल के सात-आठ सालों में कितनी सच्चाई फाइलों में दफन कर दी गई। कितने सफेदपोशों ने अपने दामन पर लगे दाग रूपचंद की थैली से साफ कर छाती चौड़ी कर घूमने लगे। बड़े साहब के ताजा कदम से उन लोगों की बेचैनी बढ़ा दी है। क्या पता उन अहम बिंदुओं पर तफ्तीश शुरू कराने का आदेश जारी कर दे जिन्हें वे दबा कर अपना काम करा चुके हैं। अब जानने वाले जानते हैं कि बड़े साहब किसी की पुंगी बजाने में माहिर हैं। इनके पूर्ववर्ती की उदारता में तो पंडित जी बच गए थे, कई औरों ने भी गंगा नहा लिया था।

अब पड़ोसी जिले में होगी नेतागीरी

खाकी महकमे की नेतागीरी करने वाले एक हंसमुख स्वभाव वाले नेताजी इन दिनों मायूस हो गए हैं। अंग नगरी में उनका दिल लग गया था। यहां सफेद कपड़े में चौक-चौराहे पर सज-धज कर अक्सर दिख जाते थे। साथियों के झुंड में नेताजी अलग दिख जाते थे। गले में सोने की मोटी चेन, सफेद कपड़े, सफेद बाइक, यहां तक सफेद चप्पल और सफेद गमझे में ही दिखाई देने वाले नेताजी जल्द से फिर पद पर आसीन होने वाले थे लेकिन अंग नगरी का दानापानी एक आदेश पर छिन गया। इनके कई साथी भी मायूस, क्या करें। अब पड़ोस के जिले में जाकर नेतागिरी करेंगे। इनकी जमात में ही एक दमखम वाले दो साथियों की तगड़ी सेटिंग थी। जिले में ही रहग गए हैं। अब नेताजी से संवेदना रखने वाले लंबू जी जिले में रह गए उन दो साथियों को अपनी कलम से परेशान करने लगे हैं। दोनों अभी परेशान हैं।

चेले ने लगा दी गुरु की वाट

बालू चोरी वाले एक थाना क्षेत्र में सक्रिय दारोगा के चेले ने अपने कारनामे से उनकी वाट लगा दी। अब बेचारे मंथन कर रहे हैं। उन्हें इस बात का इल्म जबतक हुआ तब तक पानी सिर से ऊपर बह चुका था। कुछ साथियों ने उन्हें राय दी थी कि आपके चेले के हाथ में थाने की कमान का इलाके में शोर है। छोटे साहब को रोज छन-छन कर यह बात पहुंच रही है। थानेदार का माथा ठनका तो अपने पूर्व वाले थाने से एक पुराने चेले को बुला लिया। लेकिन उस्ताद चेले ने उन्हें भी मिलाकर गेम शुरु कर दिया। खुद रात भर थानेदार बन वाहनों के कागजात चेक कर वसूली कर सारा माल रखने लगा। बात साहब तक पहुंची तो गेम ओवर हो गया। अब नई तैनाती पर आने वाले दारोगा तैनाती पूर्व इलाके की टोह ले रहे हैं। बदनाम चेला दरकिनार होने लगा है।


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