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पुलिसिया काहिली में जमानत पा गए शातिर, पुलिस ने समय सीमा में नहीं दिया आरोप पत्र

वाहन चोरी में दर्ज दोनों मुकदमे में जितनी तेजी से पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार किया। जांचकर्ता के समक्ष ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई कि आरोप पत्र दाखिल करना ही भूल गए?

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 12:20 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 01:22 PM (IST)
पुलिसिया काहिली में जमानत पा गए शातिर, पुलिस ने समय सीमा में नहीं दिया आरोप पत्र
पुलिसिया काहिली में जमानत पा गए शातिर, पुलिस ने समय सीमा में नहीं दिया आरोप पत्र

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। भागलपुर की कोतवाली (जोगसर) पुलिस की 2018 में स्कॉर्पियो और बोलेरो चोरी के दो मुकदमों में ऐसी लापरवाही सामने आई जिसका फायदा जेल में बंद शातिर को मिला और उन्हें जमानत मिल गई। जांचकर्ता ने दोनों मुकदमों में ऐसी काहिली दिखाई कि आरोपितों के विरुद्ध आरोप पत्र अदालत में दाखिल नहीं किया।

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नतीजा सीजेएम आनंद कुमार सिंह ने उन्हें पुलिस की घोर लापरवाही का लाभ देते हुए जमानत दे दी। बुधवार को आरोपित मुजफ्फरपुर निवासी मुहम्मद अली उर्फ राजा और शत्रुघ्न कुमार उर्फ चंदन को जमानत का लाभ मिल गया। इस मामले में अन्य आरोपितों को भी अब इसका लाभ मिल जाएगा।

कोतवाली थाने में दर्ज हुआ था दो मुकदमा, जांचकर्ता की घोर लापरवाही

कोतवाली (जोगसर टीओपी) में बाजपट्टी सीतामढ़ी जिला निवासी रूपेश कुमार ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि 23-24 सितंबर 2018 की रात एससी बनर्जी रोड स्थित प्रिंटिंग प्रेस शांति के समीप से उनकी स्कॉर्पियो चोरी हो गई थी। प्राथमिकी अज्ञात के विरुद्ध दर्ज की गई। मामले के जांचकर्ता बनाए गएसहायक अवर निरीक्षक लाल बाबू राय। दूसरी प्राथमिकी भी उसी थाने में बोलेरो चोरी की झारखंड के गोडडा में तैनात गब्य पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार ने दर्ज कराई थी। उनकी बोलेरो पांच अगस्त 2018 की अल सुबह पांच बजे आदमपुर पोस्टल कॉलोनी के समीप सुलेखा निकेतन के पास से चोरी हो गई थी। अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई। जांचकर्ता बनाए गए थे अवर निरीक्षक सुरेश कुमार। दोनों मुकदमें में 70 और 69 दिन बीत गए लेकिन आरोप पत्र पुलिस दाखिल नहीं कर सकी।

सुलगते सवाल

वाहन चोरी में अज्ञात चोरों के विरुद्ध दर्ज दोनों मुकदमे में जितनी तेजी से पुलिस ने जांच कर आरोपितों की पहचान सामने लाई और गिरफ्तार किया। जांचकर्ता के समक्ष ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई कि आरोप पत्र दाखिल करना ही भूल गए? जबकि यह जाहिर है कि ऐसी लापरवाही पर सक्षम पुलिस पदाधिकारी जांचकर्ता को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा भी करते हैं। ऐसी स्थिति में जांच में लगाए गए पुलिस पदाधिकारियों की घोर लापरवाही कुछ और ही कहानी बयां करती है।


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