भागलपुर: OPD से गायब रहने वाले डाक्टरों पर अब तुरंत होगा एक्शन, सुबह 8 बजे से दोपहर दो बजे तक रहना होगा
भागलपुर के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी से गायब रहने वाले डाक्टरों पर अब तुरंत एक्शन होगा। सुबह 8 बजे से दोपहर दो बजे तक हर हाल में अस्पताल में रहना होगा। इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। प्रमंडलीय आयुक्त दयानिधान पांडेय ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि ओपीडी में आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं मुहैया कराए। सुबह आठ बजे से दो बजे तक ओपीडी में हर हाल में चिकित्सक की उपस्थिति सुनिश्चित कराएं। इसके लिए दोनों जिला के सिविल सर्जन और अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं को नियमित अस्पतालों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए।
डयूटी से गायब रहने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की जाएगी। अप्रैल 21 से मार्च 22 तक भागलपुर जिला में ओपीडी में 35 लाख 72 हजार मरीज आने का लक्ष्य निर्धारित था, जबकि ओपीडी में मात्र 09 लाख 38 हजार 735 मरीज ही आए। यह लक्ष्य का मात्र 26 प्रतिशत है। वहीं, बांका में 23 लाख 91 हजार 318 मरीजों के ओपीडी में आने का लक्ष्य निर्धारित था, जबकि 09 लाख 86 हजार मरीजों का ही ओपीडी में इलाज हुआ।
यह कुल लक्ष्य का मात्र 41.6 प्रतिशत ही है। इंडोर में भी भागलपुर की उपलब्धि मात्र 48 प्रतिशत है। आयुक्त ने दोनों जिला के सिविल सर्जन को व्यवस्था में सुधार लाने के निर्देश दिए। सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। भागलपुर में 58 प्रतिशत और बांका में 54 प्रतिशत संस्थागत प्रसव सरकारी अस्पतालों में कराए गए।
सीजेरियन प्रसव में भागलपुर की उपलब्धि 80 प्रतिशत और बांका की मात्र सात प्रतिशत रही। प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि संस्थागत प्रसव और सीजेरियन प्रसवों की संख्या बढ़ाएं। आयुष्मान भारत योजना के तहत भागलपुर में 14 लाख 30 हजार 574 लाभुकों का गोल्डन कार्ड बनाने का लक्ष्य है।
अभी तक भागलपुर में मात्र एक लाख 65 हजार 610 लाभुकों का ही गोल्डन कार्ड बनाया गया है। वहीं, बांका में 10 लाख 69 हजार 410 लाभुकों का गोल्डन कार्ड बनाया जाना था। अभी तक बांका जिला में मात्र एक लाख 46 हजार लाभुकों का ही गोल्डन कार्ड बनाया गया। प्रमंडलीय आयुक्त ने इस पर गहरी नाराजगी जताई। प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि यह सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है।
इस योजना के तहत गरीब परिवार को इलाज पर पांच लाख रुपये तक की मुफ्त सहायता दी जाती है। महंगे इलाज के कारण गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। ऐसे में इस योजना में लापरवाही किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सिविल सर्जन ने बताया कि नाम, पता आदि में मामूली त्रुटि रहने पर भी लाभुकों के आवेदन रद हो जा रहे हैं।
प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि कम कार्ड बनने का यह कारण नहीं हो सकता है। प्रधानमंत्री कार्यालय से आयुष्मान भारत योजना के लाभुकों को पत्र भेजा गया था। आशा कार्यकर्ताओं को पत्र वितरित करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। ऐसे में यह पता लगाएं कि कितने आशा कार्यकर्ताओं ने लाभुकों के बीच पत्र का वितरण किया था।
प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि अगली बैठक में आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड निर्माण में तेजी नहीं आने पर जिम्मेवारी तय कर कार्रवाई की जाएगी। जिस स्तर पर लापरवाही की बात सामने आएगी, वैसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाओं की उपलब्धता की समीक्षा के दौरान यह बताया गया कि भागलपुर के सदर अस्पताल में 12 सौ की जगह 500 दवाइयां उपलब्ध है। अप्रैल महीने में दो लाख 09 हजार की जेनरिक दवाईयां बिकी। नवगछिया और जगदीशपुर के अस्पतालों में भी जेनरिक दवाइयां है। जगदीशपुर में सबसे कम जेनरिक दवाइयां बिकी।
वहीं, बांका में अमरपुर में सबसे कम जेनरिक दवाइयां बिकी। प्रमंडलीय आयुक्त ने दोनों जिला के सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि सभी सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाओं का स्टोर खोलने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएं।