जलवायु परिवर्तन : 10 साल में चार डिग्री बढ़ गया न्यूनतम तापमान, एहसास कराकर चली जाती है ठंड Bhagalpur News
पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल दर साल तापमान में एक से दो डिग्री का इजाफा ही हुआ है। खासकर न्यूनतम तापमान में इजाफा दर्ज किया गया है।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। जलवायु परिवर्तन के कारण हर साल धरती गर्म होती जा रही है। पिछले 10 सालों में भागलपुर का औसत न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है। तापमान बढऩे के कारण सर्दियों के दिन भी कम हो रहे हैं। दिसंबर से पडऩे वाली कड़ाके की ठंड अब आते-आते जनवरी लगा देती है। सर्दियां आती भी हैं तो सिर्फ एहसास कराकर चली जाती हैं। तेजी से बदल रही जलवायु के कारण हर साल दिसंबर का तापमान बढ़ रहा है। इस कारण सर्दियां भी गायब हो रही हैं।
पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल दर साल तापमान में एक से दो डिग्री का इजाफा ही हुआ है। खासकर न्यूनतम तापमान में इजाफा दर्ज किया गया है। 2009 के आंकड़ों को देखें तो 31 दिसंबर को सबसे ठंडा दिन रिकॉर्ड किया गया था। इस दिन 4.3 न्यूनतम तापमान दर्ज हुआ था। इसके बाद साल दर साल पारा चढ़ रहा है। गुरुवार को ही अधिकतम 24.2 तो न्यूनतम तापमान 11.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हालांकि 2012 में 3.4 और 2018 में न्यूनतम तापमान 3.2 रहा है।
बारिश का न होना
अभी तक सर्दियों में ठीक-ठाक बारिश हो जाती थी। लेकिन यह भी कम हो रही है। इस सीजन में एक भी दिन बारिश नहीं हुई है। आसमान में भले ही बादल दिखे, लेकिन बिना बारिश के चले गए। जिस कारण मौसम में बदलाव हो रहा है।
पछुआ हवा का अनियंत्रित होना
सबौर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक का कहना है कि पछुआ हवा अपने साथ ठंड और बारिश लेकर आती थी लेकिन इस बार ये हवा अनियंत्रित है। पिछले दिनों हवा के कारण बादल जैसी स्थिति बनी थी लेकिन अब अगले सप्ताह तक बारिश की संभावना नहीं है।
लगातार खिल रही धूप खत्म कर रही सर्दियां
सर्दियों में इन दिनों में धूप किस्मत से ही नसीब होती है। इस सीजन की बात करें तो दिसंबर में सारे दिन धूप खिल रही है। इस कारण अधिकतम तापमान 24 से 26 डिग्री के बीच रहा।
2009 से अब तक दिसंबर के सबसे ठंडे दिन
साल अधिकतम न्यूनतम
2009 26.6 4.3
2010 26.0 7.0
2011 27.9 5.0
2012 27.1 3.4
2013 27.1 7.0
2014 26.1 4.8
2015 29.0 4.2
2016 28.5 7.0
2017 28.6 5.6
2018 27.6 3.2
12 दिसंबर का तापमान
साल अधिकतम न्यूनतम
2009 24.9 9.5
2010 25.5 15.0
2011 20.3 14.3
2012 21.8 14.5
2013 24.8 10.4
2014 22.2 9.1
2015 23.0 12.6
2016 18.6 7.5
2017 28.6 14.2
2018 27.4 8.0
2019 24.2 11.0
स्वर्णा राय चौधरी (कृषि वैज्ञानिक, शस्य विज्ञान, सबौर कृषि विश्वविद्यालय) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम बदल रहा है। रविवार से लोगों को ठंड का पूरा एहसास होने लगेगा। फरवरी में भी ठंड महसूस होगा। पहले नवंबर से जनवरी के बीच ठंड पड़ती थी। धीरे-धीरे यह आगे बढ़ रहा है।
ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारण बढ़ रही गर्मी
पृथ्वी के चारों ओर ग्रीन हाउस गैसों की एक परत होती है। इन गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड शामिल हैं। विज्ञानियों का मानना है कि उद्योगों और कृषि के जरिये जो गैसें वातावरण में छोड़ रहे हैं, उससे ग्रीन हाउस गैसों की परत मोटी होती जा रही है। ये परत अधिक ऊर्जा सोख रही है और धरती का तापमान बढ़ा रही है।
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन
57 फीसद कार्बन डाइऑक्साइड कोयले के इस्तेमाल से, 17 फीसद कार्बन डाइऑक्साइड पेड़ों की कटाई, जैव इंधन की कमी, 14 फीसद मीथेन, 8 फीसद नाइट्रस ऑक्साइड, 3 फीसद कार्बन डाइऑक्साइड, अन्य 1 फीसद फ्लोरिनेटेड गैस
जलवायु परिवर्तन के कारण
नगरीकरण, औद्योगीकरण, कोयले पर आधारित विद्युत तापगृह, तकनीकी तथा परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन, कोयला खनन, मानव जीवन के रहन-सहन में परिवर्तन (विलासितापूर्ण जीवनशैली के कारण रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीश्नर तथा परफ्यूम का वृहद पैमाने पर उपयोग), धान की खेती के क्षेत्रफल में अभूतपूर्व विस्तार, शाकभक्षी पशुओं की संख्या में वृद्धि, आधुनिक कृषि में रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग आदि कुछ ऐसे प्रमुख कारण हैं जो ग्रीन हाउस गैसों के वातावरण में उत्सर्जन के लिए उत्तरदायी हैं।