साहित्यकार उमाकांत झा अंशुमाली का निधन, साहित्यकारों ने जताया शोक, दी श्रद्धांजलि
भागलपुर में साहित्यकार उमाकांत झा अंशुमाली के निधन से साहित्यजगत में शोक की लहर है। उनके निधन से अंग क्षेत्र को काफी क्षति हुआ है। वे ज्ञान के भंडार थे।
भागलपुर, जेएनएन। साहित्यकार उमाकांत झा अंशुमाली का 29 जून 2020 की प्रात: लगभग साढ़े छह बजे तिलकामांझी स्थित आवास पर हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया। वे 69 वर्ष के थे। वे जाने-माने कवि, नाटककार और लेखक थे। अंगिका के उत्थान के लिए वे संघर्ष कर रहे थे। उन्हें विद्यावाचस्पति मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें अन्य कई सम्मान और उपाधि भी मिले थे। उनका दाहसंस्कार बरारी स्थित श्मशान घाट पर मंगलवार को किया गया। जहां उनके ज्येष्ठ पुत्र अनुराग झा ने उन्हें मुखाग्नि दी। निधन के एक दिन पहले ही उन्होंने अपनी शादी की वर्षगांठ मनाई थी। वे अपने पीछे पत्नी किरण झा, दो पुत्र अनुराग झा और नीलकमल झा एवं एक पुत्री अनुराधा को छोड़ गए हैं।
जताया शोक
साहित्यकार उमाकांत झा अंशुमाली के निधन पर मधुसूदन झा, गीतकार राजकुमार, आमोद कुमार मिश्र, प्रो डॉ मथुरा दूबे, डॉ विजय कुमार मिश्र, जयप्रकाश झा, कृष्णकांत झा, श्यामाकांत झा, प्रेमकांत झा, गौतम कुमार यादव, दिनेश तपन, कथाकार रंजन, रामावतार राही, श्यामाकांत झा, अभय भारती, कवींद्र मिश्र, डॉ अमरेंद्र, गौतम सुमन, डॉ विद्या रानी, डॉ आनंद झा बल्लो, कथाकार रामकिशोर, त्रिलोकीनाथ दिवाकर, मधु लक्ष्मी, प्रीतम विश्वकर्मा, महेंद्र मयंक, राम प्रकाश स्नेहिल, विश्वरंजन भट्टाचार्य, प्यारे हिंद, धीरज पंडित, महेंद्र निशाकर, डॉ नवीन निकुंज आदि ने शोक व्यक्त किया है।
गीतकार राजकुमार ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कह कि अंगिका और हिन्दी के सुमधुरकंठी एवं हंसमुख कलमकार उमाकांत झा 'अंशुमाली' का अचानक छोड़कर चला जाना हृदय को तो विदिर्ण कर गया। उनके निधन से साहित्य समाज और अंग क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है। प्रभु से प्रार्थना है कि इनकी विदेही आत्मा को अपनी शरणागति देने के साथ-साथ इनके विस्तृत परिवार को इस असह्य कष्ट सहने की क्षमता प्रदान करें।
साहित्यकार डॉ अमरेंद्र ने कहा कि अंग क्षेत्र ने एक ऐसे व्यक्तित्व को खो दिया, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य के लिए समर्पित कर दिया था। हिंदी और अंगिका भाषा पर उनकी पकड़ काफी मतबूत थी। साहित्यिक विरासत को संजोने में उनके किये गए प्रयास को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे अंग के धरोहर थे। मित्र मंडली और स्वजन उनसे काफी अनुभव प्राप्त करते थे। वे धार्मिक प्रवृति के थे। उनकी कविताओं को लोग काफी पसंद करते थे। उन्होंने कई कवि सम्मेलनों की शोभा को भी बढ़ाया था।
आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डॉ विजय कुमार मिश्र ने कहा कि सहित्य के क्षेत्र में उनका काफी योगदान रहा। आकाशवाणी में भी उनका अक्सर कार्यक्रम होता था। उनकी कविताओं और अन्य साहित्यिक रचनाओं का प्रसारण यहां से किया जाता था। इसके लिए उन्हें अक्सर आकाशवाणी बुलाया जाता था। रेडियो श्रोता भी उनकी रचाना को काफी सराहते थे। आकाशवाणी भागलपुर में भी उनके निधन पर शोक मनाया गया।
कवि उमाकांत झा को दी गई श्रद्धांजलि
सरस्वती विद्या मंदिर पकड़तल्ला परिसर में शोकसभा आयोजित कर अंगिका एवं हिन्दी के प्रसिद्ध कवि एवं गीतकार उमाकांत झा अंशुमाली के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार विकास ङ्क्षसह गुलाटी ने की। इंदूभूषण मिश्र, मिथिलेश मिश्रा, धीरज तिवारी,आभाष, नितेश कुमार, निलेश झा,अमन मोहन,दयाशंकर झा आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की।