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भागलपुर : छह वर्ष बाद भी लोगों के घरों तक नहीं पहुंचा गंगा का पानी, 550 करोड़ रुपये की योजना

जलापूर्ति योजना का काम दिसंबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य पर अभी तक 60 प्रतिशत काम ही हो पाया है पूर्ण। 19 जलमीनारों में से 16 अभी भी निर्माणाधीन। बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण तीन जलमीनारों से शुरू नहीं हो पाई जलापूर्ति।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 09:33 AM (IST)
भागलपुर : छह वर्ष बाद भी लोगों के घरों तक नहीं पहुंचा गंगा का पानी, 550 करोड़ रुपये की योजना
भागलपुर में पेयजलापूर्ति योजना गहरा गया है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहरी क्षेत्र के हर घर को गंगा का पानी पिलाने की बुडको की 550 करोड़ की योजना छह वर्ष बाद भी पूर्ण नहीं हो पाई है। जलापूर्ति योजना का काम दिसंबर 2022 तक पूर्ण करने का लक्ष्य दिया गया है। पर जो स्थिति है उसे देखकर समय पर काम पूरा होने की उम्मीद कम ही है।

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जानकार बताते हैं कि अभी तक 60 प्रतिशत काम ही पूर्ण हो पाया है। 19 जलमीनारों में से मात्र तीन बने हैं। बिजली कनेक्शन नहीं मिलने से इससे भी आपूर्ति नहीं हो पा रही है। शेष 16 का काम या तो अधूरा है या किसी न किसी वजह से अटका हुआ है।

मुख्‍य बातें

  • - इंजीनियरिंग कालेज में अभी चल रही रहा है इंटेकवेल और गेटवेल निर्माण का काम
  • - 60 फीसद ही पूरा हो पाया है पाइपलाइन बिछाने का काम
  • - 45 फीसद ही हुआ है बरारी वाटर वक्र्स में स्काडा सिस्टम वाले नए वाटर वक्र्स का निर्माण
  • - तीन जल मीनारों का निर्माण कार्य हो चुका है पूर्ण
  • - बरारी वाटर वक्र्स में उपभोक्ता सेवा केंद्र बनकर हो चुका है तैयार
  • - मुख्य जलस्रोत से हनुमान घाट तक पानी लाने में एनएच का पेंच
  • - भोलानाथ पुल अंडरपास और बौंसी रेलवे अंडरपास से पाइप ले जाने के लिए अब तक नहीं मिला एनओसी
  • - अलीगंज और बरहपुरा में जमीन नहीं मिलने से अटका है जलमीनार का काम
  • - चंपानगर और जगलाल स्कूल में जलमीनार निर्माण में भी अड़चन

इंजीनियरिंग कालेज में इंटेकवेल और गेटवेल का निर्माण कार्य अभी भी चल ही रहा है। बरारी वाटर वक्र्स परिसर में स्काडा सिस्टम वाले नए वाटर वक्र्स का निर्माण 45 फीसद ही हो पाया है। इंजीनियरिंग कालेज के समीप स्थित नदी के मुख्य स्रोत से हनुमान घाट तक पानी लाने में एनएच का पेंच फंस गया है। विभाग सड़क काटने की अनुमति नहीं दे रहा है।

भोलानाथ पुल अंडरपास और बौंसी रेलवे अंडरपास से पाइप ले जाने के लिए भी एनओसी नहीं मिला है। अलीगंज और बरहपुरा में जमीन नहीं मिलने से जलमीनार निर्माण का काम अटका पड़ा है। चंपानगर और जगलाल स्कूल में भी जलमीनार के निर्माण में अड़चन आ रही है। जगलाल स्कूल के प्राचार्य ने स्कूल परिसर में मीनार बनाने से मना कर दिया है।

बरारी वाटर वक्र्स में जल भंडारण नहीं होने सेे त्राहिमाम की स्थिति

ब्रिटिश जमाने के वाटर वक्र्स की व्यवस्था को नगर निगम नहीं संभाल पा रहा है। कभी मोटर पंप खराब होने, कभी कैमिकल की कर्मी तो कभी नदी की धारा दूर जाने से जलभंडारण की समस्या हो रही है। पिछले पांच दिनों से सात में से छह मोटर पंप खराब पड़े हैं। लोग पानी के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार एक मोटर पंप का मरम्मत कार्य पूरा हो गया है। बुधवार को इंटेकवेल में लगाया जा सकता है। दूसरे मोटर की मरम्मत अब तक नहीं की गई है।

पेयजल के लिए मशक्कत

मंगलवार को 12 एमएलडी में से मात्र एक एमएलडी पानी की आपूर्ति हुई। इसकी वजह से 12 में से आठ वार्डों तक बरारी वाटर वक्र्स का पानी नहीं पहुंच पाया। मानिक सरकार, नयाबाजार, राधा रानी सिन्हा रोड, खलीफाबाग, खरमनचक आदि इलाके जलापूर्ति से वंचित रहे। मानिक सरकार स्थित जलमीनार में पिछले तीन दिनों से पानी का भंडारण नहीं हुआ है। आदमपुर, दीपनगर व मानिक सरकार के लोगों को पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा है।

नगर निगम के पास अपना मिस्त्री नहीं

नगर निगम के पास मोटर पंप मरम्मत के लिए मिस्त्री नहीं है। नए सिस्टम के कारण मोटर पंप मरम्मत कार्य में विलंब हुआ। निगम ने मोटर मरम्मत के लिए दो से तीन मिस्त्रियों से कोटेशन मंगवाया। इसके बाद मोटर मरम्मत के लिए भेजा गया। इसकी वजह कार्य में विलंब हुआ और जनता को जलसंकट का सामना करना पड़ा।

प्रशासन उदासीन

जून तक तीन जलमीनार से जलापूर्ति का लक्ष्य रखा गया था। हाउङ्क्षसग बोर्ड के जलमीनार से आपूर्ति शुरू हुई। पर नाला निर्माण और पाइपलाइन बिछाने के दौरान जलापूर्ति पाइप क्षतिग्रस्त हो गई। लिहाजा, बरारी क्षेत्र के आधे हिस्से में जलापूर्ति नहीं हो रही है। मिरजनहाट ठाकुरबाड़ी स्थित जलमीनार में लीकेज की समस्या है। बिजली कनेक्शन भी नहीं हुआ है। टीएमबीयू परिसर स्थित जलमीनार में भी बिजली कनेक्शन के अभाव में जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। अगर तीनों जलमीनारों से आपूर्ति शुरू हो जाती तो डेढ़ लाख लोगों को स्वच्छ पानी मिल जाता।


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