गांवों में पंचायत चुनाव को लेकर होने लगी गुटबाजी, दबंग भी ठोक रहे ताल
आसन्न पंचायत चुनाव को लेकर ग्राम पंचायतों में गुटबाजी शुरू हो गई हैा कई दबंग भी चुनाव मैदान में उतरने के लिए ताल ठोक रहे हैं। कुर्सी पर काबिज प्रतिनिधि कर रहे चुनाव में दोबारा जीत का दावाा इसके लिए वे हर हथकंडा अपनाने की रणनीति बना रहे हैं।
जागरण संवाददाता, सुपौल । त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल इस वर्ष जून में समाप्त हो रहा है। तय समय सीमा पर पंचायतों के गठन को ले राज्य निर्वाचन आयोग ने मार्च से मई के बीच चुनाव कराने की संभावना व्यक्त की है । जिसको लेकर प्रशासनिक तैयारी भी जोरों से की जा रही है। इधर पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट होते ही गांव की सियासत भी गरमाने लगी है, हालांकि अभी चुनाव की कोई तारीख आयोग द्वारा मुकर्रर नहीं की गई है बावजूद पंचायतों में तोड़-जोड़ की रणनीति शुरू हो चुकी है।
कई दबंग सहित संभावित उम्मीदवार ठोक रहे ताल
चुनाव की सुगबुगाहट मात्र से चुनाव लडऩे वाले संभावित उम्मीदवारों ने अभी से ही ताल ठोंकना शुरू कर दिया है जिससे पंचायत जनप्रतिनिधियों की धड़कनें भी तेज होने लगी है। ऐसे लोगों का गांव के गलियारों में चहलकदमी तेज हो चुकी है जहां वर्तमान पंचायत प्रतिनिधि अपनी कुर्सी बचाने के लिए ग्रामीणों से नजदीकियां और किए गए कार्य व जनसेवा का चर्चा कर दोबारा चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं तो पुराने चेहरे व संभावित नए उम्मीदवार भी गांव के गलियारों में चहलकदमी तेज कर लोगों से मिलजुल कर अपनी दावेदारी की वजह गिना रहे हैं।
संभावित प्रत्याशियों की चर्चा जोरों पर
गांव के चौपाल, चाय-पान की दुकानों से लेकर चौक-चौराहे पर वर्तमान पंचायत प्रतिनिधि व संभावित उम्मीदवारों की चर्चाएं शुरू होने लगी है। मतदाताओं में अपनी पकड़ बनाने को लेकर संभावित से लेकर वर्तमान प्रतिनिधि पर्व त्यौहार आदि में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यही नहीं गांव में मौजूदगी या आने वाले दिनों में गांव के प्रतिनिधित्व हेतु प्रत्याशी बनने की जानकारी दे रहे हैं।
अब मुखिया ही नहीं वार्ड सदस्य पद के लिए भी लगेगी होड़
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पहले मुखिया के लिए प्रत्याशियों में होड़ लगी रहती थी लेकिन आने वाले चुनाव में इस बार वार्ड सदस्य बनने के लिए भी होड़ लगेगी। पूर्व के वर्षों में पंचायत चुनाव के बाद वार्ड सदस्य का पद रिक्त रह जाता था और रिक्त सीटों के लिए निर्वाचन आयोग को कई बार उपचुनाव कराना पड़ता था लेकिन अब होने वाले चुनाव में वार्ड सदस्य पद के लिए प्रत्याशियों की होड़ लगेगी इसके पीछे सात निश्चय योजना का लाभ मिलना बताया जा रहा है।