औषधीय सहित मिश्रित खेती कर सबल हो रहे किसान
कटिहार। लगातार प्राकृतिक आपदाओं का संकट झेल रहे किसानों ने अब अषधीय खेती शुरू कर दी है।
कटिहार [नंदन कुमार झा] : लगातार प्राकृतिक आपदाओं का संकट झेल रहे किसानों ने अब अपना ट्रेंड बदल लिया है। किसान अब पारंपरिक खेती के साथ ही मिश्रित खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इसके साथ कई किसानों ने औषधीय पौधे की भी खेती शुरू की है। मिश्रित खेती से जहां किसानों को नुकसान की संभावना कम होती है। वहीं बागवानी और औषधीय पौधे प्राकृतिक आपदओं को झेलने में भी सक्षम होते हैं। बता दें कि बाढ़ के कारण धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। किसानों ने मक्का की खेती पर भरोसा जताया था। लेकिन दाना नहीं बनने के कारण किसानों के अरमानों पर पानी फिर चुका है। जबकि आंधी व तूफान के साथ पनामा बिल्ट के कहर ने केला किसानों की भी कमर तोड़ दी है। ऐसे में किसान अब वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग कर मिश्रित खेती की ओर बढ़ रहे हैं। लगभग एक दर्जन किसानों ने इसकी शुरूआत भी कर दी है। जिले के फलका, कोढ़ा, मनसाही, बरारी, कदवा सहित कई प्रखंड में किसान मिश्रित खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
बढ़ रहा औषधीय खेती का दायरा :
औषधीय पौधों की खेती करने वाले फलका के किसान अमित कुमार ने बताया कि औषधीय पौधे की खेती से कम लागत में बेहतर मुनाफा मिलता है। उन्होंने कहा कि वे आंवला के साथ ही लेमन ग्रास, मेंथा, एलोबेरा, अश्वगंधा सहित अन्य औषधीय पौधे की खेती कर रहे हैं। यद्यपि इसका रकवा कम होने के कारण फिलहाल इसकी बिक्री में परेशानी होती है। लेकिन बदलते समय के अनुरूप यह बेहतर विकल्प है। औषधीय पौधे से हर वर्ष उन्हें अच्छी आमदनी प्राप्त होती है।
बागानों में भी मिश्रित खेती का है बेहतर विकल्प :
मिश्रित खेती करने वाले किसान बताते हैं कि कम उपज वाली जमीन पर बागवानी करना बेहतर विकल्प है। छोटे और कम भूमि वाले किसान खेतों की मेढ़ पर भी बागवानी कर सकते हैं। इसके साथ ही आम, लीची और आंवाला के बागान में हल्दी, अदरक, मिर्च, ओल की खेती कर बेहतर आमदनी कमाई जा सकती है। इससे किसान अपने बागानों को तैयार करने के साथ दोहरा मुनाफा कमा सकते हैं।
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किसानों को मिश्रित खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही बागान व औषधीय पौधे की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। किसान इसके लिए अग्रसर हो रहे हैं। बागान के साथ ही केले के साथ मिश्रित खेती कर किसान समृद्ध हो रहे हैं।
पंकज कुमार, कृषि वैज्ञानिक, कटिहार।
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