पत्तल बनाने वालों को हाईटेक बनाएगा बीएयू, पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ आमदनी भी भरमार Bhagalpur News
ट्राइबल सब प्लान परियोजना के तहत पत्तल बनाने वाले मजदूरों को अन्य स्वरोजगारों से भी जोड़ा जाएगा। इसके तहत किचन गार्डन बकरी पालन आदि को शामिल किया गया है।
भागलपुर [ललन तिवारी]। आदिवासियों का जीवन स्तर सुधारने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर नई परियोजना शुरू करने जा रहा है। इसमें जंगल से पत्ता चुनकर पत्तल बनाने वाले लोगों को हाईटेक मशीन से इको फ्रेंडली पत्तल बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। बिहार में पहली बार शुरू की जा रही इस परियोजना के पहले चरण में बांका, गया और औरंगाबाद सहित तीन जिलों का चयन किया गया है। बीएयू प्रशासन को उम्मीद है कि इस कवायद से पत्तल बनाने वाले मजदूरों आर्थिक बदहाली दूर होगी। उनकी आय दोगुनी हो सकेगी।
पत्तल बनाने की मिलेगी ट्रेनिंग
बीएयू के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने ने बताया कि पत्तल बनाकर गुजर-बसर करने वाले मजदूरों की आय के स्रोत को बढ़ाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय को यह परियोजना मिली है। यह ट्राइबल (आदिवासी) सब प्लान के तहत शुरू की गई है।
ये होगी खासियत
- बाजार की मांग के अनुसार अलग-अलग आकार में पत्तल बनाए जाएंगे।
- तिनके से पत्ता जोडऩे की जगह मशीन से पत्ते को पत्ते से जोड़ा जाएगा।
- तुलनात्मक रूप से अधिक उत्पादन किया जा सकेगा। गुणवत्ता में भी होगा सुधार।
- पत्तल इको फेंडली होगा। इसमें प्लास्टिक का उपयोग नहीं होगा। इससे थर्माकॉल से बनी थाली के उपयोग पर भी अंकुश लगेगा।
अन्य स्वरोजगारों से भी जोड़ा जाएगा
बीएयू के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने ने बताया कि ट्राइबल सब प्लान परियोजना के तहत पत्तल बनाने वाले मजदूरों को अन्य स्वरोजगारों से भी जोड़ा जाएगा। इसके तहत किचन गार्डन, बकरी पालन आदि को शामिल किया गया है। स्थान और परिस्थिति के अनुसार स्वरोजगार का बड़े पैमाने पर सृजन किया जाएगा। ताकि उनके जीवन में समृद्धि और बदलाव आ सके।
झारखंड सहित अन्य प्रदेशों में हो रहा काम
मशीन की सहायता से पत्तल का निर्माण झारखंड और अन्य राज्यों हो रहा है। बिहार में सरकारी स्तर पर इसे धरातल से टॉप तक पहुंचाने प्रयास पहली बार किया जा रहा है।
क्या करेगा विश्वविद्यालय
बीएयू में ट्राइबल सब प्लान परियोजना के मुख्य अनुवेशक डॉ. श्रीधर पाटिल ने बताया कि विवि की टीम चयनित जिलों में पहले पत्तल मजदूरों का समूह बनाएगी। इसके बाद इन्हें मशीन से पत्तल बनाने और इसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग की जानकारी देगी। प्रशिक्षण पूरा होने पर सभी समूहों को मशीन दी जाएगी। बीएयू की ओर से समूह को तब तक सहयोग मिलता रहेगा, जब तक कि उनका व्यवसाय पूरी तरह से पटरी पर न आ जाए।
डॉ. अजय कुमार सिंह (कुलपति बीएयू सबौर) ने कहा कि ट्राइबल सब प्लान परियोजना के पहले चरण में विवि पत्तल मजदूरों को नई तकनीक और मार्केटिंग की ट्रेनिंग देगा। ताकि इन मजदूरों की आय दोगुनी की जा सके। इसके लिए तीन जिलो का चयन किया गया है। आगे इस परियोजना का विस्तार अन्य जिलों में भी किया जाएगा।