भारत सरकार की जमीन पर बीएयू का कब्जा
विश्वविद्यालय खुद नहीं जानता है कि जमीन उसकी है या नहीं। जिला प्रशासन कर रहा पड़ताल, जमीन का कर सकता है अन्य उपयोग।
भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) अंतर्गत कृषि महाविद्यालय सबौर के पास कागजात 132 एकड़ जमीन के हैं लेकिन कब्जा 592 एकड़ पर है। महाविद्यालय 1908 में अस्तित्व में आया था। उसी वक्त से 592 एकड़ जमीन उसके पास है जबकि इसमें से 460 एकड़ भारत सरकार के खतिहान में दर्ज है। विश्वविद्यालय को भी इस बाबत स्पष्ट जानकारी नहीं है। महाविद्यालय 132 एकड़ जमीन का ही राजस्व सरकार को देता है।
इस संबंध में डीसीएलआर संजय कुमार सिन्हा का कहना है कि मामला उनकी जानकारी में है। इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके बाद नापी के जरिये जमीन की पहचान की जाएगी। वहीं, सबौर कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आरपी शर्मा कहते हैं कि मामला बहुत पुराना है। जमीन अगर भारत सरकार की है तो किसी जमाने में उसे ट्रांसफर किया गया होगा। हालांकि उनके पास इसके कागजात नहीं हैं। 460 एकड़ जमीन एनएच 80 के दक्षिण में है। इसका मौजा सुल्तानपुर, चंधेरी, मिर्जापुर, भिट्ठी, इब्राहिमपुर है। सिर्फ सुल्तानपुर मौजा में तीन सौ एकड़ से ज्यादा भूखंड उपलब्ध है। पूर्व कुलपति के निर्देश पर इस जमीन की घेराबंदी की गई थी।
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रेलवे ने भी किया था तहकीकात
बताते चलें कि कुछ वर्ष पहले सबौर में रेलवे गोदाम बनने की पहल हो रही थी उस समय रेलवे ने भी इस जमीन की तहकीकात की थी। यह पता चला था कि उक्त जमीन भारत सरकार की है। हालांकि गोदाम बनने की योजना टेकानी शिफ्ट होने के बाद इस पर आगे काम नहीं हो सका।
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- मामला काफी पुराना है इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है। उपलब्ध जमीन पर जरूरत अनुसार खेती, किसानी, मॉडल, रिसर्च आदि काम किया जाता रहा है।
: डॉ. आरके सोहाने, प्रसार शिक्षा निदेशक सह पीआरओ, बीएयू सबौर - जमीन की पूरी पड़ताल की जाएगी। विश्वविद्यालय की जरूरत एवं उपयोग को देखते हुए उक्त जमीन के दूसरे उपयोग पर भी विचार किया जा सकता है।
: प्रणव कुमार, डीएम भागलपुर
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