आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर बीएयू के कृषि विज्ञानियों ने बनाया गंधयुक्त जाल, जानिए... क्या है फेरोमोन ट्रैप Bhagalpur News
जाल में नर कीड़े या मक्खी को आकर्षित करने के लिए गंधयुक्त चिपचिपा पदार्थ लगा रहता है। यह गंध नर कीड़ों को आकर्षित कर लेता है।
भागलपुर [ललन तिवारी]। किसानों के लिए अच्छी खबर है। कीड़े अब फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे। इन्हें मारने के लिए कृषि विज्ञानियों ने दो तरह के फेरोमोन ट्रैप (गंध वाला जाल) को विकसित किया है। एक फल मक्खी के लिए है और दूसरा सब्जी कीट के लिए है।
जाल में नर कीड़े या मक्खी को आकर्षित करने के लिए गंधयुक्त चिपचिपा पदार्थ लगा रहता है। यह गंध नर कीड़ों को आकर्षित कर लेता है। कीड़े जाल में फंसकर मर जाते हैं। नर कीड़ों के मर जाने से प्रजनन की क्रिया रूक जाती है। धीरे-धीरे कीड़े खत्म हो जाते हैं। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) और ऑस्ट्रेलिया की संस्था ने मिलकर इसे बनाया है। बीएयू के एपीआरओ डॉ. रामदत्त ने बताया कि इसकी कीमत सौ रुपये है। सरकार इस पर 90 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। एक एकड़ फसल की रक्षा के लिए पांच फेरोमोन ट्रैप की जरूरत पड़ती है। इसमें दो-तीन सौ रुपये खर्च होते हैं। मकसद यह है कि कीड़ों से न सिर्फ फसलों की सुरक्षा हो, बल्कि रसायन का इस्तेमाल भी घटे। यह हर मौसम के लिए कारगर है।
अब किसान भी तैयार कर रहे जाल
जाल बनाने की तकनीक आसान है। किसान खुद भी इसे तैयार कर ले रहे हैं। इसके लिए वे बीएयू के विज्ञानियों से संपर्क साधते हैं। खरीक के उस्मानपुर गांव के युवा किसान विकास कुमार ने खुद से उपकरण बनाकर अपने खेतों पर प्रयोग किया है। इसका सकारात्मक परिणाम सामने आया है। अब अन्य किसान भी जाल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
कीड़ों से तीस फीसद तक नुकसान
फल मक्खियों का प्यूपा जमीन के अंदर रहता है। जब अंडाकार अवस्था में आम का फल होता है तब यह जमीन से बाहर निकल कर फल में प्रवेश कर जाता है और वहीं वह अंडा देता है। इससे 20 प्रतिशत तक फल का नुकसान हो जाता है। इसी प्रकार लत्तीदार सब्जी भी कीड़े के चलते 30 प्रतिशत तक नुकसान होता है।
फल और सब्जी उत्पादक किसानों के लिए फेरोमोन ट्रैप काफी फायदेमंद है। इसके निर्माण के लिए युवा किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। - डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति बीएयू सबौर