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गांधी जयंती पर विशेष : भागलपुर में मना था बापू का 56वां जन्मदिन

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कई यादें भागलपुर से जुड़ी हैं। वे चार बार भागलपुर आए थे। तीसरी बार गांधीजी एक और दो अक्टूबर 1925 को भागलपुर में रहे थे। यहां उनका जन्मदिन मनाया गया था।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 09:57 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 08:10 PM (IST)
गांधी जयंती पर विशेष : भागलपुर में मना था बापू का 56वां जन्मदिन
गांधी जयंती पर विशेष : भागलपुर में मना था बापू का 56वां जन्मदिन

भागलपुर (नवनीत मिश्र)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कई यादें भागलपुर से जुड़ी हैं। वे चार बार भागलपुर आए थे। इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मुकुटधारी अग्रवाल के अनुसार तीसरी यात्रा में गांधी जी ने अपना 56वां जन्मदिन भी सादगी के साथ मनाया था। जन्मदिन पर उन्होंने शिव भवन प्रांगण में महिलाओं से पर्दा का त्याग करने, चरखा चलाने, खादी पहनने, बेटियों को शिक्षित बनाने व विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने की अपील की थी। उनकी अपील का तत्काल असर हुआ था और महिलाओं ने अपने घूंघट हटा दिया था।

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पहली बार आने के लिए रखी थी शर्त

गांधी जी 15 अक्टूबर 1917 को पहली बार भागलपुर आए थे। उन्हें यहां छात्र सम्मेलन की अध्यक्षता करनी थी। सम्मेलन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद और बाबू दीपनारायण सिंह भी उपस्थित थे। गांधी जी दीप बाबू के अतिथि थे। आने से पूर्व बापू ने शर्त रखी थी कि सम्मेलन का सारा कार्य हिन्दी में होगा तभी वह आएंगे। उस समय उनकी ख्याति चंपारण सत्याग्रह को ले सारे देश में फैली हुई थी। आयोजकों ने उनकी शर्त मान ली थी। पगड़ी, मोटा खादी का कुर्ता, खादी की धोती और पैर में कठियावाड़ी जूते पहने जब वे पहुंचे तो उन्हें देखने के लिए लोग उमड़ पड़े। सम्मेलन कांग्रेस नेता दीप नारायण सिंह की जमीन पर आयोजित किया गया था जहां अब लाजपत पार्क है। इसमें बापू ने मातृभाषा के अधिकाधिक उपयोग पर बल दिया था। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि मातृभाषा का अपमान, भारत माता का अपमान है। जो मातृभाषा का निरादर करता है, वह देशभक्त नहीं हो सकता है। जो शिक्षा हमारे अंदर देशभक्ति नहीं भर सकती, वह व्यर्थ है। उनके भाषण का असर हुआ और छात्रों ने अंग्रेजी की जगह मातृभाषा हिंदी के अधिकाधिक उपयोग का संकल्प लिया।

तीसरे दर्जे के डिब्बे से उतरे थे बापू

बापू दूसरी बार 11 दिसंबर 1920 को भागलपुर आए थे। उनके साथ कांग्रेस के बड़े नेता शौकत अली थी थे। शाम को जैसे ही उनकी ट्रेन भागलपुर पहुंची, हजारों लोगों ने बाबू दीप नारायण सिंह की अगुआई में उनका भव्य स्वागत किया था। उनकी यह यात्रा थर्ड क्लास डिब्बे में सामान्य यात्रियों के साथ हुई थी। स्टेशन से गांाधीजी और शौकत अली को गाजे-बाजे साथ दीप बाबू के आवास तक ले जाया गया। दूसरे दिन उनकी सभा टिल्हा कोठी (रवीद्र भवन, विश्वविद्यालय परिसार) मे हुई थी। भारी भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने ब्रिटिश शासन की तुलना शैतान के शासन से की और कहा कि शैतान जैसी इस सरकार को हम सत्य, अहिंसा और न्याय के जरिये ही परास्त कर सकते हैं। उन्होंने जन समुदाय से असहयोग आंदोलन में भाग लेने की भी अपील की थी।

शिव भवन में मनाया था जन्मदिन

तीसरी बार गांधीजी एक और दो अक्टूबर 1925 को भागलपुर में रहे थे। वे कमलेश्वरी सहाय के आग्रह पर शिव भवन में ठहरे थे। यहां उनका 56 वां जन्मदिन सादगी से मनाया गया था। शिव भवन के प्रांगण मे उपस्थित लगभग चार सौ महिलाओं ने गांधीजी को सुना था। गांधी जी ने अपने भाषण में उपस्थित महिलाओं से पर्दा प्रथा का त्याग, चरखा चलाने और खादी वस्त्र पहनने, विदेशी वस्त्र का बहिष्कार और बालिकाओं को शिक्षित बनाने पर विशेष जोर दिया था। उनके भाषण का त्वरित असर यह हुआ कि कई महिलाओं ने सेवा का व्रत लिया और घूंघट का त्याग कर दिया। मौके की बड़ी घटना विदेशी वस्त्रों की होली थी। इसी दिन उन्होंने बिहार प्रांतीय अग्रवाल सभा को भी संबोधित किया, जिसकी अध्यक्षता सेठ जमना लाल बाजाज ने की थी। उस सभा मे गांधीजी ने व्यापारियों से अपील की कि वे विदेशी वस्त्रो का व्यापार न करें और असहयोग आंदोलन मे भाग लें।

पांच रुपये में दिए ऑटोग्राफ

गांधीजी दो अप्रैल 1935 को आखिरी बार भागलपुर आए थे। बिहार में आए भूकंप और कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों को देखने के लिए वे सहरसा से बिहपुर होते हुए भागलपुर पहुंचे थे। वे दीपनारायण सिंह के घर ठहरे और लाजपत पार्क में लोगों को संबोधित करते हुए भूकंप पीडितों की मदद करने और राहत कार्य में सहयोग करने की अपील की थी। सभा में स्वयंसेवकों ने झोली फैला लोगों से चंदा एकत्र किया था। सभा में बहुत से लोग ऑटोग्राफ लेना चाहते थे। गांधीजी ने पांच-पांच रुपये लेकर ऑटोग्राफ दिए थे। इसमें भागलपुर की महिलाओं ने दो-दो गहने और आम लोगों ने काफी धन से सहयोग किया था। यह धन पटना में भूकंप राहत कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद को सौंप कर गांधीजी सड़क मार्ग से बांका गए जहां मौलाना शफी की अध्यक्षता में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया था। भीड़ से निकालने के क्रम मे उनके पैर का एक अंगूठा चोटिल हो गया था। बांका से गांधी जी देवघर चले गए।

बिहपुर भी गए थे गांधी जी

भागलपुर यात्रा के दौरान गांधी जी बिहपुर भी गए थे। सभा के आयोजन का प्रबंध बिहपुर थाना कांग्रेस कमेटी ने किया था लेकिन दीपनारायण सिंह के नेतृत्व में रास बिहारी लाल काफी सर्तकता के साथ प्रयत्नशील थे। गांधी जी के भाषण के बाद यह क्षेत्र क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बन गया। 


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