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बैंकों के विलय के विरोध में यूनियनों का हल्ला बोल, केंद्र सरकार पर किया हमला Bhagalpur News

कर्मचारी यूनियनों ने कहा यह निर्णय केवल पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। इससे पूर्व विलय के बाद एसबीआइ की स्थिति खराब हुई है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 08:56 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 08:56 AM (IST)
बैंकों के विलय के विरोध में यूनियनों का हल्ला बोल, केंद्र सरकार पर किया हमला Bhagalpur News
बैंकों के विलय के विरोध में यूनियनों का हल्ला बोल, केंद्र सरकार पर किया हमला Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। केंद्र सरकार की ओर से दस बैंकों को किए गए विलय के विरोध में कई बैंकों के कर्मचारियों और यूनियनों ने सरकार के खिलाफ काली पट्टी लगाकर हल्ला बोला। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) के बैनर तले बैंक ऑफ इंडिया और इलाहाबाद बैंक के आंचलिक कार्यालय के पास विरोध प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडेरेशन के जिला सचिव प्रशांत कुमार मिश्रा ने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि सरकारी बैंकों के विलय के लिए सरकार कारण गिना रही है। केंद्र राष्ट्र को बड़े बैंक देना चाहती है।

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जबकि देश को बड़े से ज्यादा मजबूत बैंकों की जरूरत है। विलय से ग्राहकों को कोई फायदा नहीं होगा। बैंकों की शाखाओं की कमी, एटीएम की कमी झेलनी पड़ेगी। यह निर्णय केवल पूंजीपतियों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। इससे पूर्व विलय के बाद एसबीआइ की स्थिति खराब हुई है। एआइएबीओए के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार लाठ ने कहा कि सरकार नाकामी को छुपाने के लिए बैंकों का मर्जर किया है। जो सरासर गलत है। प्रदर्शन में यूएफबीयू के संयोजक अरविंद कुमार रामा, एनके सिन्हा, तारकेश्वर घोष, गोपेश कुमार, कृष्ण कुमार, एनके अग्रवाल, मृत्युंजय पांडेय, सुनील कुमार सिंह, संजय कुमार सिंह, राहुल, चंदन, गुंजेश, कलश, सारिका, बालकृष्ण, नीतीश कुमार सहित दर्जनों कर्मचारी थे।

बैंकों के विलय से ग्राहकों को हो सकती है परेशानी

केंद्र सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में काफी बड़ा कदम उठाते हुए कई बड़े बैंकों का विलय किया है। सार्वजनिक बैंकों के विलय को लेकर कई तरह की आशंकाएं रहती हैं, हालांकि अभी तक के अनुभवों से इनका देश को फायदा ही मिलता दिख रहा है। - अशोक भिवानीवाला, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स

साल 2017 में पब्लिक सेक्टर के 27 बैंक थे, जिनकी संख्या अब घटकर 12 रह जाएगी। एनडीए के पहले कार्यकाल के दौरान की ही महत्वाकांक्षी योजना है। सरकार ने यह फैसला सोच समझ कर लिया है। - रोहित झुनझुनवाला, महासचिव, चैंबर ऑफ कॉमर्स

बैंकों के विलय से डूबे हुए ऋण की वसूली नहीं होगी। एनपीए में में बढ़ोतरी होगी। बैंकों का पूंजी आधार बढ़ेगा। अरबों खबरों के ऋण लेने वालों को सहूलियत होगी। आम आदमी, ग्राहकों को फायदा नहीं है। पूंजीपतियों और उद्योगपतियों को फायदा होगा। - प्रशांत कुमार मिश्र, सचिव आइबॉक

बैंकों के विलय से कारपोरेट घरानों को फायदा होगा। ग्राहकों की संख्या कम होगी। एटीएम, डेबिट कार्ड और अन्य सुविधाओं के लिए ग्राहकों को परेशान होना पडेगा। देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 हो गई है। अभिषेक जैन, चैंबर ऑफ कॉमर्स


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