बेबी ने कभी किया विरोध तो खूब हुई आलोचना, अब बन गईं प्रेरणाश्रोत Jamui News
बेबी कहती है मेरे लिए 11 अक्टूबर 2018 जीवन का यादगार दिन है जब कनाडा दूतावास में एक दिन की उच्चायुक्त बनी। स्वस्थ और सुशिक्षित समाज उसका मिशन है।
जमुई [अरविन्द कुमार सिंह]। जमुई जिले के टिटहिया गांव की बेबी! बेबी आज जो है, वह नहीं होती, अगर उसने अपने सपनों के पंख को कुतरने से न रोका होता। तब बिहार में बाल विवाह के विरुद्ध आज जैसा कोई अभियान नहीं चल रहा था। गांव-समाज का रिवाज देख परिजनों ने उसकी शादी तय कर दी। तब वह स्कूल में थी। दूसरी लड़कियों की तरह उसने हार नहीं मानी और इस फैसले का विरोध कर दिया। शायद, उस समाज में विरोध की यह पहली आवाज थी। लोगों ने ताने मारे, लेकिन वह विचलित नहीं हुई। परिजनों को किसी तरह समझा लिया। उसी बेबी को पिछले साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर दिल्ली स्थित कनाडा के दूतावास में एक दिन का उच्चायुक्त बनाकर सम्मानित किया गया।
गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले एक सुदूर गांव की यह बेटी आज सैकड़ों लड़कियों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। उसके प्रयासों से दर्जन भर नाबालिग लड़कियों की शादी रुक गई। छोटी सी उम्र में सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध उसके संघर्ष का सुपरिणाम है कि आज पचासों परिवार अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने लगे हैं। बेबी ड्राप आउट बच्चे-बच्चियों को फिर से स्कूल पहुंचाती है। किशोरियों के बीच यौन स्वास्थ्य को लेकर भी जागरूकता फैला रही। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में उसे मतदाता जागरुकता के लिए जिले का स्विप आइकन भी बनाया गया।
बेबी कहती है, मेरे लिए 11 अक्टूबर, 2018 जीवन का यादगार दिन है, जब कनाडा दूतावास में एक दिन की उच्चायुक्त बनी। स्वस्थ और सुशिक्षित समाज उसका मिशन है। लोग अब रुढ़िवादी सोच से बाहर निकलकर बेटियों को स्कूल भेज रहे हैं, उसके लिए यह बड़ी सफलता है।
जमुई स्थित श्यामा प्रसाद सिंह महिला महाविद्यालय से स्नातक कर रही बेबी को इसी साल प्लान इंडिया की ओर से उसे यूथ वॉलटियर की जिम्मेवारी दी गई। वह प्रोत्साहन राशि से पढ़ भी रही है, पढ़ा भी रही। बाल विवाह का विरोध करने पर कभी उलाहना देने वाले आज अपनी इस बेटी पर गर्व कर रहे हैं।
जमुई के जिलाधिकारी धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि बेबी सचमुच जिले की आइकन है। जिस पृष्ठभूमि और इलाके से वह आती है, उसमें उसने जो कर दिखाया है वह निश्चित तौर पर अन्य बेटियों के लिए प्रेरणादायी है।