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आयुष्मान भारत दिवस : ढाई हजार मरीजों का इलाज, एक लाख 30 हजार निर्धनों को मिला गोल्डेन कार्ड

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत मरीजों का पांच लाख राशि तक निश्‍शुल्क इलाज किया जाता है। इलाज सरकारी अस्पताल या निजी क्लीनिक में भी किया जा सकता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 09:52 AM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 09:52 AM (IST)
आयुष्मान भारत दिवस : ढाई हजार मरीजों का इलाज, एक लाख 30 हजार निर्धनों को मिला गोल्डेन कार्ड
आयुष्मान भारत दिवस : ढाई हजार मरीजों का इलाज, एक लाख 30 हजार निर्धनों को मिला गोल्डेन कार्ड

भागलपुर, जेएनएन। आयुष्मान भारत योजना के तहत जिले में अब तक एक लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। सभी को गोल्डन कार्ड दिया गया है। अब तक करीब ढाई हजार लोगों का इलाज मायागंज अस्पताल और निजी नर्सिंग होम में किया गया है। हालांकि, लॉकडाउन की वजह से मरीजों का रजिस्ट्रेशन फिलहाल प्रभावित है।

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पांच लाख राशि तक निशुल्क होता है इलाज

आयुष्मान भारत 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना' के तहत मरीजों का पांच लाख राशि तक निश्‍शुल्क इलाज किया जाता है। इलाज सरकारी अस्पताल या निजी क्लीनिक में भी किया जा सकता है। उन निजी क्लीनिकों में मरीज इलाज करवा सकते हैं जो आयुष्मान भारत योजना से संबंधित है।

इन्हें मिलता है गोल्डन कार्ड

- उन परिवार के सदस्यों को जिनके पास एक कमरा का कच्चा मकान हो।

- घर की मुखिया महिला हो और परिवार के सदस्य 16 और 59 वर्ष के हों।

- माली, कूड़ा बीनने वाले, मजदूर, बढ़ई, मोची, फेरीवाला, गृहविहीन परिवार को भी योजना का लाभ मिल सकता है।

- योजना का लाभ लेने के लिए नजदीक सरकारी या गैर सरकारी अस्पताल में संपर्क करना होगा।

केस एक : मुंगेर के 50 वर्षीय सिकंदर शर्मा ने बताया कि मुंगेर अस्पताल से उन्हें मायागंज रेफर किया गया। उन्हें डायलिसिस की जरूरत थी। अस्पताल में भर्ती कर कई बार डायलिसिस कर उन्हें स्वस्थ किया गया। उन्हें मेडिसीन विभाग में भर्ती किया गया था।

केस दो : भागलपुर के 30 वर्षीय रूपेश कुमार को लीवर की बीमारी थी। इतने पैसे भी नहीं थे कि नर्सिंग होम में इलाज करवा सके। गोल्डन कार्ड भी एक सप्ताह में बन गया। मायागंज अस्पताल के मेडिसीन विभाग में भर्ती कर इलाज किया गया। डायलिसिस भी की गई।

केस तीन : 18 वर्ष के गोलू कुमार को टीबी था। आयुष्मान योजना के तहत गोल्डन कार्ड बनाया गया। टीबी एंड चेस्ट विभाग में भर्ती कर इलाज किया गया। उन्होंने कहा कि कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहा। दवाएं भी अस्पताल से मिलती रहीं। अब मैं स्वस्थ हूं।


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