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लाखों की लागत से बना था आदिवासी बाहुल्य शीतलपुर पंचायत का आयुर्वेदिक अस्पताल, अब इसे इलाज की जरूरत

कटिहार के आजमनगर प्रखंड के शीतलपुर पंचायत में लाखों की लागत से आयुर्वेदिक अस्पताल का निर्माण करवाया गया था लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते आज इस अस्पताल की स्थिति दयनीय हो चली है। लोगों का इलाज करने वाले इस अस्पताल को आज खुद ट्रीटमेंट की जरूरत है...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 09:31 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 09:31 AM (IST)
लाखों की लागत से बना था आदिवासी बाहुल्य शीतलपुर पंचायत का आयुर्वेदिक अस्पताल, अब इसे इलाज की जरूरत
कटिहार के शीतलपुर पंचायत में बना आयुर्वेदिक अस्पताल।

विनोद कुमार राय, संवाद सूत्र, आजमनगर (कटिहार) : आजमनगर प्रखंड के शीतलपुर पंचायत में लाखों की लागत से निर्मित आयुर्वेदिक अस्पताल देख रेख के अभाव में बदहाली के कगार पर पहुंच गया है। कल्याण विभाग द्वारा निर्मित इस अस्पताल में चिकित्सक की पदस्थापना के साथ समुचित चिकित्सा संसाधन उपलब्ध कराया गया था। आयुर्वेदिक चिकित्सालय आदिवासी बाहुल्य इलाके में लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। विशाल भवन,आधुनिक उपकरण व उपस्कर से लैस इस चिकित्सालय में कभी क्षेत्र के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलती थी। विभागीय उदासीनता व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से आयु्र्वेदिक चिकित्सालय बदहाली के कगार पर पहुंच गया है।

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शायद ही कभी डाक्टर का दर्शन लोगों को हो पाता है। चिकित्सालय में अक्सर ताला लटका रहने के कारण इलाज कराने आने वाले लोगों को बैरंग वापस लौटना पड़ता है। देख रेख के अभाव में अस्पताल भवन खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। आयुर्वेदिक अस्पताल का उपयोग पशुचारा व मवेशी बांधने का काम में स्थानीय लोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर अस्पताल की स्थिति दयनीय हो चली है।

आदिवासी बाहुल्य गांव में स्वास्थ्य सेवा की कमी

आदिवासी बाहुल्य इस इलाके में आयुर्वेदिक अस्पताल के निर्माण का उद्देश्य क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना था। कोरोना काल में भी लोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सालय से स्वास्थ्य सुविधा मुहैया नहीं हो पाई।

स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि बमबम मंडल ने बताया कि चिकित्सालय अक्सर बंद रहने के कारण लोगों को ग्रामीण चिकित्सक के भरोसे अपना इलाज कराना पड़ता है।

चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों के अक्सर गायब रहने के कारण चिकित्सालय अक्सर बंद रहता है। आयुर्वेदिक चिकित्सालय की बदहाली को लेकर कई बार जिलाधिकारी सहित जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया। लेकिन इस दिशा में अब तक किसी तरह की पहल नहीं हो पाई है। देखना होगा कि बेहतर और देसी स्वास्थ्य व्यवस्था के दावे करने वाले हुक्मरान कब इस गांव की तरफ अपना ध्यान उत्कृष्ट करते हैं।


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