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‘ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब’ : हर हाल में रोकनी होगी तेजाब की खुली बिक्री

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यह जानलेवा तरल सहजता से सुलभ क्यों है? शासन-प्रशासन ने हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले तेजाब की बिक्री को खुला क्यों छोड़ दिया?

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 11:26 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 04:28 PM (IST)
‘ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब’ : हर हाल में रोकनी होगी तेजाब की खुली बिक्री
‘ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब’ : हर हाल में रोकनी होगी तेजाब की खुली बिक्री

भागलपुर [संयम कुमार]। भागलपुर की एक बेटी असह्य कष्ट में है। एसिड ने चेहरे से उसकी पहचान छीन ली। अरमानों को जला दिया। ख्वाबों को झुलसा डाला। हम शहरवासी हर दिन उसकी सलामती की दुआ कर रहे। प्रार्थना हो रही कि वाराणसी के समयन हॉस्पिटल से हर दिन उसकी हालत में सुधार की खबर मिले। इन दुआओं के बूते वह मौत से लड़ रही है। उम्मीद है, वह शीघ्र ही हम लोगों के बीच होगी। कई सवाल लिये।

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शायद उसके सवालों का हमारे पास माकूल जवाब न हो। हम यानी समाज, शासन और प्रशासन। इस शहर के लिए बहुत भारी थी 19 अप्रैल की वह शाम, जब बेरहमी से उसे एसिड से नहलाया गया। जिसे भी यह खबर मिली, सन्न रह गया। दुख और आक्रोश के मिश्रित भाव सड़कों पर पसर गए। दोषियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा के स्वर नारों में बदलने लगे। यह मांग लगातार जारी है। भावनाओं के इस ज्वार में हम इसके दूसरे पहलू को शायद ही देख पा रहे। हमें चोट वहां करनी है, जिसकी बुनियाद पर ऐसी दिल दहलाने वाली घटना की पटकथा तैयार होती है। अहम सवाल है तेजाब की खुली बिक्री क्यों?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यह जानलेवा तरल सहजता से सुलभ क्यों है? शासन-प्रशासन ने हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले तेजाब की बिक्री को खुला क्यों छोड़ दिया? शहर में इतनी बड़ी वारदात के पखवारे भर बाद प्रशासन को इसकी बिक्री के नियमन की याद आई। छापेमारी हो रही है। अभी कुछ स्पष्ट नहीं कि यह कार्रवाई तेजाब की खुली बिक्री को किस तरह नियंत्रित करेगी। शहरवासियों के मनोभावों से जुड़ा दैनिक जागरण तेजाब की खुली बिक्री को बंद कराने के उद्देश्य से कदम बढ़ा चुका है। हमने ‘ना बिके तेजाब, ना झुलसें ख्वाब’ को केंद्र में रखकर अभियान का आगाज किया है। हम यह बताएंगे कि तेजाब की बिक्री के लिए सुप्रीम कोर्ट के क्या दिशा-निर्देश हैं। इसका अनुपालन कैसे हो, इसपर हम सब मिलकर मंथन करेंगे। मंथन से जो रास्ते निकलेंगे, उससे प्रशासन को अवगत कराया जाएगा। हम यह बताएंगे कि सरकार एसिड पीड़ितों की किस प्रकार सहायता करती है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं से इसे समझने का प्रयास होगा। इसकी हकीकत की जमीनी पड़ताल भी करेंगे। घटना के बाद विशेषकर बच्चों और किशोरों-किशोरियों में जो सिहरन पैदा होती है, उससे उनके ही शब्दों में सक्षम अधिकारी को अवगत कराया जाएगा। वो माताएं जिनकी बेटियां या बच्चे स्कूल या किसी अन्य कार्य से बाहर निकलते हैं, उनके मन में सुरक्षा को लेकर किस तरह के भाव आते हैं। ऐसी माताएं समाज और प्रशासन से कैसी सुरक्षा का आश्वासन चाहती हैं, अभियान में इसकी अभिव्यक्ति भी होगी। छात्रएं अपने सवालों के साथ पुलिस पदाधिकारियों से रू-ब-रू होंगी। मोहल्लों में गोष्ठियां होंगी। खुलेआम तेजाब न बिकने देने की शपथ ली जाएगी। अभियान के दौरान यह बताने का प्रयास भी होगा कि एसिड से घाव खाने के बाद भी जिंदगी है। ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने इस चुनौती को स्वीकार कर समाज में अपनी सशक्त पहचान बनाई। रैली के माध्यम से हम इस अभियान को ऊंचाई देंगे, ताकि भागलपुर की आवाज पटना और दिल्ली तक भी पहुंचे। आइए हम सब मिलकर इस आवाज को बुलंदी दें।

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