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न चल सकते और न देख सकते फिर भी लगा दी चुनाव ड्यूटी

विधानसभा चुनाव में आंख बंदकर ड्यूटी लगा दी गई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो चलने में असमर्थ है और जिसे दिखाई तक नहीं देता उसकी भी चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई। सदर अस्पताल में शनिवार को ऐसे ही करीब तीन सौ बीमार सरकारी कर्मचारी स्वास्थ्य की जांच करवाने पहुंचे जिनमें से 80 फीसद को अनफिट कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 08:30 AM (IST)
न चल सकते और न देख सकते फिर भी लगा दी चुनाव ड्यूटी
न चल सकते और न देख सकते फिर भी लगा दी चुनाव ड्यूटी

भागलपुर। विधानसभा चुनाव में आंख बंदकर ड्यूटी लगा दी गई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो चलने में असमर्थ है और जिसे दिखाई तक नहीं देता उसकी भी चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई। सदर अस्पताल में शनिवार को ऐसे ही करीब तीन सौ बीमार सरकारी कर्मचारी स्वास्थ्य की जांच करवाने पहुंचे, जिनमें से 80 फीसद को अनफिट कर दिया गया।

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इस दौरान अस्पताल में बीमार मरीजों के लिए बैठने तक की व्यवस्था दो घंटे बाद की गई। कई बीमार कर्मचारी तो ज्यादा देर तक खड़े रहने से भी गिर गए। न तो पेयजल की व्यवस्था थी और न ही कोई अन्य सुविधा ही दी गई थी। अस्पताल की दूसरी मंजिल पर मेडिकल बोर्ड में शामिल डॉक्टर कर्मियों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे थे। सीढि़यां चढ़ने में कर्मचारियों के पसीने छूट गए।

हर बार लगा दी जाती है ड्यूटी

प्रो. प्रमोद कुमार को छठी बार चुनाव में ड्यूटी दी गई है। उन्होंने कहा कि हर बार उनकी ड्यूटी लगा दी जाती है, जबकि वह दिव्यांग हैं। स्वास्थ्य विभाग एक बार उन्हें अनफिट भी कर चुका है। वहीं, प्रो. डीएन राय के लिंगामेंट में चोट है। वह किसी तरह जांच करवाने आए थे। 60 वर्षीय विशनुदेव दास को कैंसर का ऑपरेशन हुआ है और उन्हें हृदय रोग भी है। उन्होंने कहा कि चलने में भी परेशानी हो रही है।

आंखों से दिखाई नहीं देता कैसे करुंगा ड्यूटी

मो. आबुद बख्स शिक्षक हैं। उनकी आंखों की रोशनी मद्धिम हो गई है। बेटा सहारा देकर अस्पताल लाया था। मो. जावेद पेसमेकर लगाए हुए हैं। साथ ही उनका डायलिसिस भी हुआ है। मो. तारिफ जमील मदरसा में शिक्षक हैं, दिखाई नहीं देता। फिर भी चुनाव ड्यूटी की लिस्ट में नाम शामिल है।

दो लोगों को गोद में उठाकर लाया गया था

शिक्षा विभाग के विमल प्रसाद हृदय रोग से ग्रसित हैं और दिव्यांग भी हैं। फिर भी उन्हें भी चुनाव में ड्यूटी मिली। स्वजन गोद में उठाकर जांच टीम के पास ले गए। हाथ-पैर से दिव्यांग प्रदीप कुमार भी मेडिकल जांच करवाने आए। वह एलआइसी में कार्यरत हैं।

एक माह की बच्ची को गोद में लिए खड़ी रही सुभद्रा

सदर अस्पताल में एक माह की बच्ची को गोद में लिए घंटों खड़ी रही सुभद्रा देवी। वह मेडिकल बोर्ड में जांच करवाने आई थी। जितने भी बीमार बुजुर्ग कर्मचारी अस्पताल आए उन्हें बैठने की व्यवस्था तक नहीं थी। उन्होंने सीढि़यों पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार किया। दिव्यांग बिहपुर की अहिल्या देवी भी गिर गई। मधुमेह से पीडि़त और घुटने में दर्द की वजह से शिक्षक मुकेश प्रसाद राम भी ज्यादा देर तक खड़े नहीं रहे और वे गिर गए। स्वास्थ्य की जांच करवाने आए कर्मचारियों ने कहा कि अस्पताल के ऊपरी मंजिल पर जांच करवाने से अच्छा था कि नीचे ही जांच करा ली जाती।

पेयजल की व्यवस्था नहीं थी

जांच के लिए आए कर्मचारी पानी के लिए कर्मचारी तरस गए। पेयजल की व्यवस्था भी अस्पताल में नहीं की गई थी। पानी के लिए कर्मचारी भटकते रहे।

22 गर्भवतियों की भी लगा दी थी चुनाव ड्यूटी

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपमा सहाय ने कहा कि 25 महिलाओं में 22 महिलाएं गर्भवती थीं। तीन ऐसी महिलाएं थीं, जिन्हें 15 दिन पहले सिजेरियन किया गया था। डॉ. सौरभ ने कहा कि हृदय रोग और पेसमेकर लगाने वाले कर्मचारियों को अनफिट किया गया।

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कोट 270 कर्मचारियों की जांच की गई। उनमें से करीब 80 फीसद कर्मचारी अनफिट पाए गए।

डॉ. विजय कुमार सिंह, सिविल सर्जन, भागलपुर


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