शव ले जाने एंबुलेंस नहीं देने पर मंत्री हुए नाराज, अस्पताल के इमरजेंसी प्रभारी सहित 11 से पूछा स्पष्टीकरण
सदर अस्पताल भागलपुर मुंगेर की महिला सीता देवी की मौत अस्पताल में भर्ती होने के कुछ ही देर बाद हो गई। लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं मिला। इस बात पर मंत्री ने नाराजगी व्यक्त की है।
भागलपुर, जेएनएन। मुंगेर निवासी सीता देवी का शव ठेला से ले जाने के मामले में सदर अस्पताल के इमरजेंसी प्रभारी सहित 11 स्वास्थ्य कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के संज्ञान लेने के बाद अधिकारी हरकत में आए। सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार सिंह ने भी कर्मचारियों से पूछताछ की है।
सदर अस्पताल में रविवार को 10.28 बजे सीता देवी की मौत हो गई थी। स्वजन एंबुलेंस के लिए भटकते रहे। अस्पताल में तीन एंबुलेंस खड़ी थी, लेकिन चालक नहीं था। घंटों इंतजार के बाद स्वजन ठेला शव को नाथनगर के भतौडिय़ा ले गए। सीता देवी भतौडिय़ा में रिश्तेदार के यहां ठहरी हुई थीं। उन्हें जोड़ों में दर्द, खांसी और बुखार था। अस्पताल प्रभारी डॉ. एके मंडल ने सदर अस्पताल के 11 कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। इनमें इमरजेंसी प्रभारी, चार नर्सें, एंबुलेंस चालक, ड्रेसर और ट्राली मैन शामिल हैं। पूछा गया है कि सीता की मौत के बाद शव ले जाने के लिए एंबुलेंस देना चाहिए, लेकिन नहीं दी गई। न ही इसकी सूचना प्रबंधन को दी और न ही एंबुलेंस सेवा के लिए कॉल किया गया। यह घोर लापरवाही है। 24 घंटे के भीतर जबाव देने का निर्देश दिया गया है।
वरीय अधिकारी थे व्यस्त
अस्पताल प्रभारी के स्पष्टीकरण मांगने के बाद भी सिविल सर्जन ने खुद पूछताछ की। डॉ. एके मंडल उस समय जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा की अगुवानी को लेकर हवाई अड्डा पर थे। हालांकि उनके आने का कार्यक्रम रद हो गया। वहीं अस्पताल प्रबंधक जावेद अंसारी टीटीसी कॉलेज के कोविड सेंटर में थे। एंबुलेंस चालक मुकेश ने बताया कि किसी भी वरीय अधिकारी ने एंबुलेंस के लिए सूचना नहीं दी।
एंबुलेंस रहते ठेला पर स्वजन ले गए थे महिला का शव
स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था इतनी लचर है कि शव ले जाने के लिए शव वाहन तक नहीं मिलते। रविवार को मुंगेर की महिला सीता देवी के साथ ऐसा ही हुआ था। अस्पताल में भर्ती होने के कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई। शव ले जाने के लिए स्वजन ने एंबुलेंस की खोज की। अस्पताल परिसर में तीन एंबुलेंस मिली, लेकिन चालक नहीं था। अस्पताल में उस वक्त कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भी अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिया। स्वजन ठेला से शव नाथनगर के भतौडिय़ा ले गए।