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पुरुषों के लिए रोल माडल बन गई अररिया की अनीता, डाक्यूमेंट्री ने किया हौसला बुलंद, दी नई पहचान

अररिया की अनीता ने प्रशिक्षण देकर दर्जनों महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनाया है। महिलाएं कृषि कार्यों में निपुण हो रही हैं। जिला एवं राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक किसानी में उत्कृष्ठ योगदान के लिए अनीता कई बार सम्मानित भी की जा चुकी हैं।

By Ashutosh Kumar NiralaEdited By: Shivam BajpaiPublished: Tue, 04 Oct 2022 06:16 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 06:16 PM (IST)
पुरुषों के लिए रोल माडल बन गई अररिया की अनीता, डाक्यूमेंट्री ने किया हौसला बुलंद, दी नई पहचान
अररिया की अनीता पर बनी कई डाक्यूमेंट्री।

अरूण कुमार झा, अररिया: हौसला मत खो गिर कर ऐ मुसाफिर, ठोकरे ही इंसान को चलना सिखता है। इस पंक्ति से सीख लेकर अनीता देवी खेती किसानी में जुट गई और गांव ही नही, जिले वासियों के लिए नजीर हो गई। देवी स्वरूपा फारबिसगंज के टेढ़ी मुसहरी निवासी अनीता किसानी कर महिलाओं ही नहीं पुरुषों के लिए रोल माडल बन गई। खुद किसानी में महारत हासिल कर पंचायत के सैकड़ों महिलाओं को खेतीबाड़ी के गुर सिखा कर आत्म निर्भर बनाने में सक्रिय रही हैं।

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अनीता के प्रशिक्षण से दर्जनों महिलाओं ने आत्मनिर्भर होने के लिए कृषि कार्य को रोजगार बनाया है। गांव में पली- बढ़ी अनीता देवी आज किसी पहचान की मोहताज नही है। पिछले डेढ़ दशक से कृषि कार्य में सक्रिय अनीता को जिला एवं राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक किसानी में उत्कृष्ठ योगदान को लेकर सम्मान प्राप्त हो चूका है। राष्ट्रीय आदर्श महिला कृषक की उपाधि प्राप्त अनीता खुद कुदाल व फावड़ा चलाती है। साथ ही हल भी चलाने में उसे महारथ हासिल है। फसल में पटवन से लेकर, खाद के छिड़काव भी खुद करती है। उनकी मेहनत लगन से उसे कई बार सम्मान भी प्राप्त हो चुका है।

अनीता देवी पर कई डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई हैं, जो दूरदर्शन पर प्रसारित भी हो चुकी हैं। अनीता देवी पर्दा प्रथा व घूंघट की बेड़ी को तोड़कर घर से बाहर निकली और आधुनिक तरीके से खेती करने लगी। जिससे आर्थिक रूप से मजबूती तो मिली ही और आज कामयाबी के शिखर पर है। अनीता देवी उन्नत व वैज्ञानिक खेती के आलावा मशरूम, केला, नारियल, सब्जी की खेती के साथ साथ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया। दुसरे किसानों को भी मशरूम व सब्जी की खेती करने के लिए प्रेरित करती है। उनके पति दिलीप मेहता बताते है कि उनकी पत्नी अनीता प्रतिभा की धनी है। नई तकनीक की खेती में उसे महारथ हासिल है।

जल संचय की दिशा में उनका प्रयास अहम है और दूसरों को भी पानी ख़ासकर महिलाओं को पानी की अहमियत बताती हैं। कृषि विज्ञान केंद्र अररिया के द्वारा मौसम अनुकूल कार्यक्रम में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। अनीता बताती है कि महिलाओं को खेती किसानी के लिए प्रेरित कर रही हैं। उनका कहना है कि आज की महिलाएं पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी नहीं होती है, बस उसे निखारने की जरूरत है। वे कहती है कि आधुनिक मशीनों के द्वारा घान की सीधी बुवाई और मेड पर मक्का की खेती और गेहूं जिरो टिलेज सीधी बोआई से किसानों को डबल बचत होती है।


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