Move to Jagran APP

...और भिखारी भाट टोला में बहने लगी है बदलाव की बयार, कटोरा थामने वाले हाथों में दिखने लगीं कलम-कॉपी

जिला मुख्यालय से तकरीबन 12 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित दो सौ परिवार वाले इस गांव की पहचान पेशेवर भिक्षुकों के गांव के रुप में थी। घरों में बच्चों को भिक्षाटन के प्रशिक्षण के लिए यह गांव कई वर्षों तक सूर्खियों में रहा था।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 05:04 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 05:04 PM (IST)
...और भिखारी भाट टोला में बहने लगी है बदलाव की बयार, कटोरा थामने वाले हाथों में दिखने लगीं कलम-कॉपी
कटिहार जिले के डंडखोरा प्रखंड के भिखारी भाट टोला के बच्चे

कटिहार [प्रदीप गुप्ता]। कटिहार जिले के डंडखोरा प्रखंड के भिखारी भाट टोला के बच्चे भी अब स्कूल जाने लगे हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों की तादाद अभी कम है, लेकिन साल दर साल यह कतार लंबी हो रही है। अब यहां के लोगों को भी बच्चों के हाथ में कटोरा की बजाय स्कूल बैग भाने लगा है। गांव के मुन्ना व मुनियों के चेहरे पर भी नई मुस्कान दिखने लगी है।

loksabha election banner

जिला मुख्यालय से तकरीबन 12 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित दो सौ परिवार वाले इस गांव की पहचान पेशेवर भिक्षुकों के गांव के रुप में थी। घरों में बच्चों को भिक्षाटन के प्रशिक्षण के लिए यह गांव कई वर्षों तक सूर्खियों में रहा था। भिक्षुकों के एक बड़े नेटवर्क का यह केंद्र भी बन गया था।

इरशाद ने थामी मशाल, रोशन होने लगा गांव

गांव में इस बदलाव की पटकथा टेलर मास्टर मो. इरशाद ने लिखी है। आठवीं पास इरशाद पूर्व में अन्य ग्रामीणों की तरह खुद भी पेशेवर भिक्षुक थे। मगर यह उनकी अंतर आत्मा को नागवार गुजर रही थी। उसने ग्रामीणों के विरोध के बाजवूद सिलाई कटाई का प्रशिक्षण लेते हुए टेलर मास्टर का कार्य शुरु किया। साथ ही अपने तीनों बच्चों से भिक्षाटन कराने की बजाय उन्हें स्कूल में दाखिल कराया। अन्य अभिभावकों को इसके लिए प्रेरित करने की मुहिम भी शुरु कर दी। आज इस गांव के 50 से अधिक बच्चे स्कूल की दहलीज तक पहुंच चुके हैं। कई बच्चे हैदराबाद व पश्चिम बंगाल के मालदा स्थित मदरसा में पढ़ रहे हैं।

महिलाएं भी निभा रही अहम भूमिका

पंचायत की निवासी सह पूर्व प्रमुख पूनम देवी व समाज सेवी श्रवण संन्यासी कहते हैं कि इस बदलाव को अब रफ्तार मिलने लगी है। यहां की महिलाएं जग चुकी है। गांव की बबीना देवी, ज्योति देवी, सनोज व अजीरा कहती हैं कि उन्हें भी यह अच्छा लगता है कि अब उनके बच्चे स्कूल जाते हैं। अब वे लोग बच्चों से कभी भिक्षाटन नहीं कराएंगे। मो. अशफाक व मो. हफीज कहते हैं कि अब वे लोग जग चुके हैं। गांव में स्कूल है, आंगनबाड़ी केंद्र भी है। सरकारी योजना का भी उन लोगों को लाभ मिल रहा है। अब वे लोग बच्चों को नई ङ्क्षजदगी देना चाह रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.