कालिदास ने की थी इस मंदिर की स्थापना, यहां पूरे साल होती मां सरस्वती की पूजा
कटिहार जिले के बारसोई प्रखंड के बेलवा गांव में मां नील सरस्वती का मंदिर है जिसका स्थापना कालिदास ने की थी। यहां सालों भर माता सरस्वती की पूजा होती है।
कटिहार [राजकुमार साह]। बारसोई प्रखंड के बेलवा गांव में मां नील सरस्वती का मंदिर है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर की स्थापना कालिदास ने की थी। यहां पूरे साल मां सरस्वती की पूजा की जाती है। ग्रामीणों की आराध्य देवी भी मां सरस्वती ही हैं।
संयुक्त मूर्ति है स्थापित
प्राचीन सरस्वती स्थान में महाकाली, महागौरी और महासरस्वती की संयुक्त मूर्ति स्थापित है। लोग इन्हें नील सरस्वती कहते हैं। पुजारी राजीव कुमार चक्रवर्ती ने बताया कि बेलवा से चार किलोमीटर दूर वारी हुसैनपुर गांव में अभी भी राजघरानों के अवशेष हैं। मान्यता है कि महाकवि कालिदास की ससुराल यहीं थी। पत्नी से दुत्कारे जाने के बाद कालिदास ने इसी सरस्वती स्थान में आकर उपासना की थी।
यहीं से उज्जैन गए थे कालिदास
ग्रामीणों का दावा है कि महाकवि कालिदास यहीं से उज्जैन जाकर प्रसिद्ध हुए थे। उन्हें कहां ज्ञान प्राप्त हुआ, इसकी जानकारी किसी पुस्तक में नहीं है। ऐसे में बेलवा में उनकी सिद्धि की बात को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता।
1989 में चोरी हो गई प्रतिमा
सरस्वती स्थान पूजा कमेटी के अध्यक्ष रतन कुमार साह ने बताया कि चमकीले पत्थर वाली नील सरस्वती की प्रतिमा 1989 में चोरी हो गई, लेकिन ग्रामीणों की आस्था कम नहीं हुई है। मां सरस्वती की स्थायी प्रतिमा स्थापित कर ग्रामीण साल भर यहां पूजा-अर्चना करते हैं। सरस्वती पूजा के दिन यहां मेले का आयोजन होता है। इसमें पड़ोसी राज्य बंगाल से भी लोग आते हैं।
पूर्व में दी जाती थी बलि
पुजारी का कहना है कि तीनों देवियों के संयुक्तरूप में होने के कारण यहां पूर्व में बलि देने की प्रथा थी। सरस्वती स्थान के निकट महानंदा नदी बहती है और इसके आसपास से पुरातात्विक महत्व की चीजें मिलती रहती हैं। हाल ही में अष्ठधातु की सात मूर्तियां जमीन के अंदर से मिली थीं।
धरना देने की परंपरा
नील सरस्वती के नाम से प्रसिद्ध बेलवा गांव स्थित प्राचीन सरस्वती स्थान में मन्नत को लेकर धरना देने की प्राचीन प्रथा है। यहां श्रद्धालु कई दिनों तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए धरना पर डटे रहते हैं। श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां धरना देकर मां को मनाने का प्रयास करते हैं। महाकवि कालिदास के सिद्धपीठ के नाम से प्रसिद्ध बेलवा सरस्वती स्थान में पश्चिम बंगाल से भी लोग धरना देने आते हैं।