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अमित शाह ने पूछा प्रश्‍न तो नमो-नमो के गूंजे नारे, प्रधानमंत्री के रूप में आप किन्‍हें देखना चाहते हैं - मोदी, नीतीश या राहुल?

Amit Shah Bihar Visit पूर्णिया में सभा को संबोधित करते लोगों से पूछा आप प्रधानमंत्री के रूप में किन्‍हें देखना चाहते हैं। लोगों ने नमो नमो के नारे लगाए। उन्‍होंने लालू के साथ नीतीश पर करते रहे रुक-रुक कर किया वार।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 06:10 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 06:10 PM (IST)
अमित शाह ने पूछा प्रश्‍न तो नमो-नमो के गूंजे नारे, प्रधानमंत्री के रूप में आप किन्‍हें देखना चाहते हैं - मोदी, नीतीश या राहुल?
Amit Shah Bihar Visit: पूर्णिया में केंद्रीय मंत्री अमित शाह की सभा।

राजीव कुमार, पूर्णिया। Amit Shah Bihar Visit: पूर्णिया शहर का रंगभूमि मैदान ऐतिहासिक है। यह मैदान अंग्रेजों के जमाने में गोरे अधिकारियों के घोड़ों का चारागाह हुआ करता था। बाद में यह मैदान स्वतंत्रता संग्राम का शंखनाथ स्थल भी बना। देश में सत्ता परिवर्तन की हर अच्छी-बुरी कहानी का गवाह भी बनता रहा है। जेपी आंदालन की हुंकार भी यहां गूंजी थी। शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सभा भी यही थी। इसी मैदान के इंदिरा गांधी स्टेडियम में अमित शाह सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। उनका संबोधन लगभग एक बजे शुरू हुआ। दस बजे से ही यहां भीड़ जुट रही थी। जब अमित शाह मंच पर पहुंचे थे तब भीड़ परवान पर थी। स्टेडियम के उपरी हिस्से तक लोग खचाखच भरे थे। युवा वर्ग पहले पाये पर भी जमे हुए थे। स्टेडियम के पायदान से भी सीमांचल में पार्टी की मजबूत जमीन झांक रही थी। मैदान में जहां भी लोगों को जगह मिली, वहां जम गए।

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उत्साह भी गजब का। गदगद शाह भीड़ से लगातार संवाद भी करते रहे। लालू पर निशाना साधते भीड़ से पूछा जंगलराज चाहिए क्या...। भीड़ ने कहा-नहीं...। पीएम कौन बने- मोदी, नीतीश या राहुल बाबा। भीड़ ने ठहाके लगाए और नमो-नमो की गूंज भी उठी। महागठबंधन के बाद आर पार की लड़ाई में आ चुकी भाजपा अब अपने मुख्य एजेंडे से समझौता नहीं करेगी, यह एहसास भी लोगों को कराया। हिंदुत्व, राष्ट्रवाद व विकास तीन मंत्र के सहारे पार्टी आगामी लोस व विस चुनाव में लालू व नीतीश को सबक सिखाने उतरेगी। पार्टी इन मुद्दों से कतई समझौता नहीं करेगी। यह दावा निश्चित रुप से अप्रत्याशित भीड़ की देन थी। पार्टी जमीन पर अब भी इतनी मजबूत है, यह एहसास अमित शाह के लिए सुखद रहा।

दरअसल इस भीड़ के पीछे की सियासत भी समझ में आ रही थी। दरअसल काफी समय से यहां भाजपाई जदयू से नाता तोड़ने की अपेक्षा कर रहे थे। खासकर उन विधानसभा व लोकसभा सीटों के कार्यकर्ता जो पार्टी की बैनर से चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं। ऐसे लोगों ने भीड़ जुटाने में भी खूब मिहनत की। उन विधायकों ने भी खूब पसीना बहाया, जो फिलहाल जदयू के सहारे चुनाव जीत रहे थे। उन्होंने अपनी क्षमता बढ़ाने की कोशिश की। ऐसे कई लोग भी भीड़ के साथ पहुंचे थे जिन्हें बाद में पार्टी में शामिल होने का भरोसा मिला था।


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