दिव्यांगता को लांघ जला रही शिक्षा की लौ
उसके हौसले के आगे दिव्यांगता बौनी पड़ रही है।
कटिहार (संजीव मिश्रा)। हौसले बुलंद हो तो हर मंजिल आसान होती है। इसे साबित कर दिखाया है कदवा प्रखंड की रहने वाली 15 वर्षीय माया कुमारी ने। दिव्यांगता के कारण वह चलने में असमर्थ है लेकिन उसके हौसले के आगे दिव्यांगता बौनी पड़ रही है। हाथ पर चलकर वह दो किलोमीटर दूर नियमित विद्यालय जाती है। इसके साथ ही आस पास के बच्चों और लड़कियों को भी विद्यालय जाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
प्रखंड के नंदनपुर गांव निवासी फिरंगी चौधरी की पुत्री माया जन्म से दिव्यांग है। लेकिन उसने कभी दिव्यांगता को अपने उपर हावी नहीं होने दिया। फिलहाल वह अशियानी विद्यालय में नौवीं कक्षा की छात्रा है। पठन-पाठन के लिए परिवार के लोगों का सहयोग और हौसला उसके इरादों को बुलंद कर रहा है।
उपहास के बाद अब हो रही प्रशंसा :
शुरूआती दौर में विद्यालय जाने और शिक्षा की इक्षा के कारण उसका उपहास भी उड़ाया गया। माया कहती है कि दिव्यांगता बोझ नहीं है, बस हौसले बुलंद रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि कई दिव्यांग शीर्ष पदों पर पहुंच चुके हैं, जबकि कई दिव्यांग वैज्ञानिकों ने दुनिया को अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाया है। वह कहती है कि दिव्यांगता उसे कुंठित नहीं कर रही। बल्कि सभी दिव्यांगों को शिक्षा को हथियार बनाना चाहिए।
बालिकाओं को स्कूल से जोड़ने की करती है पहल :
खुद नियमित विद्यालय जाना उसकी दिनचर्या बन चुकी है। इसके साथ ही वह गांव में घुम घुमकर आसपास की बच्चियों का नामांकन स्कूल में कराने के लिए अभिभावकों को प्रेरित करती है। उसके प्रयास से कई बच्चियां स्कूली शिक्षा से जुड़कर विद्यालय जा रही है। माया बताती है कि वह कुछ ऐसा करना चाहती है जिससे लोग दिव्यांगता को बोझ न समझें। वह बताती हैं कि दिव्यांगता शारीरिक विकार है कमजोरी नहीं। अगर हौसले बुलंद हो तो हर दिव्यांग बेहतर कर सकते हैं।