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मम्मी पापा के अरमानों से आगे निकली 'आकांक्षा', आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए उठाया यह कदम Bhagalpur News

भागलपुर के गोशाला रोड की रहने वाली आकांक्षा डालुका को कभी बाहर भेजने से हिचकने वाले उनके पिता पवन डालुका और मां शशि डालुका को आज अपनी लाडो पर नाज है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 09:59 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 09:59 AM (IST)
मम्मी पापा के अरमानों से आगे निकली 'आकांक्षा', आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए उठाया यह कदम Bhagalpur News
मम्मी पापा के अरमानों से आगे निकली 'आकांक्षा', आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए उठाया यह कदम Bhagalpur News

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। अंग नगरी (भागलपुर) के गौशाला रोड की रहने वाली आकांक्षा डालुका की प्रतिभा बचपन से ही कुलांचे मारने लगी थी। एक दिन ऐसा भी आया कि वह मम्मी पापा के अरमानों से आगे निकल गई। बिटिया को बाहर भेजने को लेकर कभी हिचक रखने वाले पवन डालुका और शशि डालुका का चेहरा फख्र से तब चमक जाता है जब कहीं बेटी का जिक्र आता है। जी हां, होनहार आकांक्षा ऐसी ही लाडो बिटिया निकली जिसने मम्मी-पापा ही नहीं अंग नगरी का नाम अपने प्रतिभा से रोशन कर दिया है।

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भागलपुर की माउंट कार्मल में नर्सरी से दसवीं तक की पढ़ाई बेहतर अंक से पास की। अचरज की बात यह कि 12 सालों के स्कूली करियर में वह एक दिन भी स्कूल नहीं छोड़ा। सातवीं कक्षा में जब वह थी तब दादा ओम प्रकाश डालुका का देहांत हो गया लेकिन वह उस दिन भी स्कूल गई थी। 12 साल लगातार उपस्थिति को लेकर स्कूल प्रशासन ने उसे सम्मानित भी किया था। 2009 में दसवीं कक्षा पास कर वह कोटा में इंजीनियङ्क्षरग की कोचिंग की और बेहतर अंकों से सफलता मिली। आइआइटी कानपुर में दाखिला मिला। फिर 2016 में पास आउट के बाद इंटर्नशिप के लिए यूएस गई। 

आइआइटी कानपुर में इंजीनियरिंग  कर उसकी प्रतिभा कुलांचे मारने लगी थी। यूएस में उसने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। नासा में उसने न्यूक्लियर सिक्युरिटी(परमाणु सुरक्षा) पर गहन प्रशिक्षण लेने में सफलता पाई। इसके पूर्व एमबीए किया। आइएसबी हैदराबाद में जाब किया। जो अंग नगरी के लोगों के लिए भी गौरवान्वित करने वाला मौका था।

आकांक्षा कहती है कि मेरी और मेरी बड़ी बहन सोनल दी की शिक्षा को लेकर मम्मी-पापा काफी चिंतित रहते थे। लेकिन हमें भी गर्व है कि उनके अरमानों को पूरा किया। भागलपुर में अपने घर के छोटे आंगन से निकल कर अब यूरोप समेत दुनियां के अन्य देशों को जानने लायक बन गई हूं। बड़ी बहन भी आइआइटी कानपुर से इंजीनियङ्क्षरग कर जॉब कर रही है।


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