मोटे अनाजों का पैदावार बढ़ाएगा कृषि विभाग, लौटेंगे मड़ुआ, चीन, ज्वार और बाजरा आदि के दिन
आगामी खरीफ मौसम मे अन्य फसलों के साथ-साथ मोटी फसल को भी शामिल करने ी योजना है। मोटे अनाज जैसे ज्वार बाजरा और मड़ुआ की खेती को बढ़ावा देने की योजना पर कृषि विभाग ने काम शुरू कर दिया है। 10 हेक्टेयर में लगेगा फसल
जागरण संवाददाता, सुपौल । कोसी के इलाके से विलुप्त हो चुकी मोटी फसलों की ओर एक बार फिर विभाग की नजरें इनायत हुई है। विभाग ने आगामी खरीफ मौसम मे अन्य फसलों के साथ-साथ मोटी फसल को भी शामिल करने का मन बना लिया है। सरकार भी मोटे अनाज में किसानों की भविष्य तलाश रही है। मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को लुभाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए कृषि विभाग किसानों से विचार-विमर्श करने लगा है। मोटी फसल में शामिल ज्वार, बाजरा, चीन, मड़ुआ आदि को शामिल किया जाना है। इसके लिए सरकार ने जिले को लक्ष्य भी तय कर कर दिया गया है। विभाग का कहना है कि आगामी खरीफ मौसम में 10 हेक्टेयर खेत को मोटी फसलों से आच्छादित किया जाएगा।
बोले किसान
कटैया के परमेश्वरी मंडल, किशनपुर के भोला मंडल आदि बताते हैं कि कोसी का यह इलाका कभी मोटी फसलों के उत्पादन का केंद्र था। यहां की मिट्टी और जलवायु इस फसल के लिए उपयुक्त थी। जिससे ऐसी फसलों की यहां बंपर पैदावार होती थी। बदलते परिवेश और अधिक उत्पादन के चक्कर में यह फसल यहां से धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई। नये प्रभेदों ने इस खेती को काफी पीछे धकेल दिया। अब तो जिउतिया पर्व के मौके पर मड़ुआ का आटा एक सौ रुपये किलो खरीदना पड़ता है। सरकार की यह योजना मोटी फसलों के लिए जीवनदायिनी साबित होगी।
बोले जिला कृषि पदाधिकारी
जिला कृषि पदाधिकारी समीर कुमार ने कहा कि गेहूं, धान की अपेक्षा मोटे अनाज की खेती में कम लागत आती है खरीफ की फसलों के लिए वर्षा जल पर्याप्त रहता है लेकिन किसान इस फसलों के प्रति जागरूक नहीं हैं। उनकी प्राथमिकता में मोटे अनाज शामिल नहीं होते जबकि अगर मोटे अनाज की खेती की जाए तो कम लागत में काफी मुनाफा कमाया जा सकता है। जिले की मिट्टी दोमट किस्म की है जो मोटे अनाजों के पैदावार के लिए काफी उपयुक्त है।
पोषक तत्वों से भरपूर हैं मोटे अनाज
मोटी फसल पोषक तत्वों से भरपूर है यह अन्य अनाजों की अपेक्षा ज्यादा उपजाऊ भी है। फसल के अवशेष पशुओं के लिए पौष्टिक होते हैं जो दूध की क्षमता बढ़ाते हैं। रासायनिक उर्वरक की जरूरत कम पड़ती है। मोटा अनाज किसानों की आय भी बढ़ाता है। इसके अलावा यह फसल औषधीय भी है जो मनुष्य के रोग से लडऩे की क्षमता को बढ़ाती है।
डॉ. मनोज कुमार, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर