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बिहार में दो छात्रों के बाद अब सुपौल का मजदूर हुआ 'मालामाल', खाते में दस करोड़ देख उड़ गए होश

सुपौल के एक मजदूर के खाते में दस करोड़ रुपये भेजी गई है। मजदूर जब अपना लेबर कार्ड बनवाने पहुंचा तो उसे इसकी जानकारी हुई। मजदूर के अनुसार उसने न तो खाता खुलवाई है और न ही उसे इस पैसे के बारे में पता है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 05:58 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 05:58 PM (IST)
बिहार में दो छात्रों के बाद अब सुपौल का मजदूर हुआ 'मालामाल', खाते में दस करोड़ देख उड़ गए होश
सुपौल के एक मजदूर के खाते में दस करोड़ रुपये आई है।

जागरण संवाददाता, सुपौल। बिहार के कटिहार में दो छात्रों के मालामाल होने खबर तो आपने सुनी होगी, अब उसी तरह सुपौल में एक मजदूर के मालामाल होने की खबर आई है।

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किसनपुर थाना क्षेत्र के सिसौनी गांव के मजदूरी करने वाले एक व्यक्ति के होश तब उड़ गये जब उसे पता चला कि उसके बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपये जमा है। वह भागा-भागा संबंधित बैंक की शाखा पहुंचा तब उसे पता चला कि उसके अकाउंट से करोड़ों रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया है, जबकि उसका कहना है कि उस शाखा में न तो अकाउंट खुलवाया था और न ही कभी वह उस शाखा में गया था।

इस मामले को साइबर क्राइम से जुड़ा बताया जा रहा है। दरअसल, सिसौनी निवासी विपिन चौहान बेलाटेढ़ा स्थित स्टेट बैंक के सीएसपी में लेबर कार्ड बनाने गया। वहां उसे सीएसपी संचालक द्वारा बताया गया कि उसके अकाउंट में बहुत सारे रुपये हैं इसलिए उसका लेबर कार्ड नहीं बन सकता। तत्पश्चात उसने अपना अकाउंट चेक करवाया तो उसमें 9 करोड़ 99 लाख रुपये दिखाई पड़ा।

तब वह अकाउंट से संबंधित जिला मुख्यालय स्थित यूनियन बैंक की शाखा आया और बैंक अधिकारी से अपनी समस्या सुनाई। बैंक अधिकारी ने उसे दूसरे दिन आने की बात कही। गुरुवार को वह फिर यूनियन बैंक की उक्त शाखा पहुंचा तो उसे पता चला कि उसके नाम से जो अकाउंट खुला है वह 13 अक्टूबर 2016 को खोला गया था और 11 फरवरी 2017 को केन्द्रीय कार्यालय द्वारा ब्लाक कर दिया गया। सिस्टम में अकाउंट फ्रीज दिखाई दे रहा है।

इस दौरान अकाउंट से करोड़ों रुपये ट्रांजेक्शन किए गए। अकाउंट में लगा फोटो विपिन के फोटो से मेल नहीं खा रहा था, जबकि हस्ताक्षर उसी के जैसा प्रतीत हो रहा था। वहीं अकाउंट में जो मोबाइल नंबर डाला हुआ था वह विपिन का मोबाइल नंबर नहीं बल्कि किसी और का था। विपिन का कहना था कि मैंने इस बैंक में कोई अकाउंट नहीं खुलवाया है और न मैं कभी इस बैंक में आया हूं। हालांकि जिसने भी इस घटना को सुना वह हक्का-बक्का रह गया। वैसे इस घटना ने इस बात को पुख्ता कर दिया है कि साइबर क्राइम के लोग इस जिले में भी अपनी पैर जमा चुका है।

ये साइबर क्राइम से जुड़ा मामला प्रतीत हो रहा है। चूंकि इनका खाता अक्टूबर 2016 में खुला था और फरवरी 2017 में साइबर विभाग द्वारा बंद कर दिया गया है। इन तीन महीने अधिक ट्रांजक्शन हुआ है। शाखा प्रबंधक को निर्देश दिया गया है कि सारे मामले की विवेचना करे और यह खाता किसने खोला, कैसे खोला, केवाइसी हुआ था कि नहीं इन सारी बातों की जानकारी दें। -संतोष कुमार खां, मुख्य प्रबंधक, अंचल कार्यालय, रांची

जो 9 करोड़ की बात कही जा रही है वह सही नहीं हैं। मैंने चेक किया, उसमें ऐसा बैलेंस आया ही नहीं है। जो भी बैलेंस दिखाई पड़ रहा है उस पर रोक लगी हई है। कभी साइबर क्राइम की घटना हुई थी। बैलेंस निगेटिव में दिखना चाहिए जो सिस्टम में नहीं दिखाई दे रहा है। इसलिए ऐसी राशि दिखाई पड़ रही है। यह खाता कैसे खुला यह जांच का विषय है। -रवि शंकर, शाखा प्रबंधक, यूनियन बैंक सुपौल


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