स्थापना के तीन दशक बाद भी केंद्रीय विद्यालय खोज रहा अपना अस्तित्व, इस बार भी नहीं बन सका चुनावी मुद्दा
लखीसराय में 1987 में तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री की पहल पर केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की गई थी। इतने दिनों के बाद भी किराए के मकान से निकल कर अपने सुरक्षित भवन में इसकी स्थापना नहीं की जा सकी। किसी राजनीति दल का यह मुद्दा नहीं बन सका।
लखीसराय [मृत्युंजय मिश्रा]। घर-घर जले शिक्षा का दीप। शायद इसी कल्पना को साकार करने के लिए लखीसराय जैसे छोटे शहर में भी अपने प्रभाव से तत्कालीन क्षेत्रीय सांसद सह केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री कृष्णा शाही की पहल पर 18 अप्रैल 1987 को केंद्रीय विद्यालय लखीसराय की स्थापना की गई थी। किराए के मकान से निकल कर अपने सुरक्षित भवन में जाने की लालसा लिए करीब 33 साल बीत गए
लेकिन किसी राजनीति दल या जनप्रतिनिधियों का यह मुद्दा नहीं बन सका। आज भी यह विद्यालय श्री दुर्गा उच्च विद्यालय के निचले हिस्से में किराए पर संचालित है। अब तक 32 प्राचार्यों ने कार्यभार संभाला। स्कूल परिसर में विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष के रूप में 30 डीएम के भी कदम पहुंचे लेकिन भवन निर्माण के लिए आज तक भूमि उपलब्ध नहीं हो सकी।
खगौर मौजा में दी गई थी जमीन
राबड़ी देवी की सरकार में तत्कालीन शिक्षा मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव की पहल पर किऊल नदी के किनारे खगौर मौजा में करीब पांच एकड़ भूमि केंद्रीय विद्यालय के नाम पर उपलब्ध कराई गई थी। उस वक्त केंद्रीय विद्यालय संगठन की जांच टीम द्वारा उक्त उबड़-खाबड़ पांच जमीन को नदी के किनारे अवस्थित होने की वजह से खतरनाक बताकर खारिज कर दिया गया था। उसके बाद जिला प्रशासन द्वारा रामगढ़ चौक प्रखंड के शर्मा एवं परसावां गांव में भूमि उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका। बहरहाल किऊल रेलवे कॉलोनी से चानन जाने के रास्ते में बिहार सरकार की गाइड लाइन के मुताबिक जिला प्रशासन द्वारा चार एकड़ भूमि फाइलों में दफन है।
नामांकन पर लगती रही है रोक
कमरे के अभाव में दो साल पूर्व केंद्रीय विद्यालय संगठन ने पहली एवं दूसरी कक्षा में नामांकन पर रोक लगा दी थी। लखीसराय के डीएम की पहल पर 2019 में पुन: नामांकन शुरू किया गया। हालांकि यह डर हर साल बना रहता है। यदि जल्द भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई तो कभी भी लखीसराय केंद्रीय विद्यालय बंद हो सकता है। इस बाबत क्षेत्रीय विधायक विजय कुमार सिन्हा से इसके लिए उनके द्वारा अब तक किए गए प्रयास को जानने के लिए फोन किया गया लेकिन वे कुछ भी बोलने से बचते रहे।
कक्षा प्रथम से दशम तक के लिए संचालित इस विद्यालय में प्रतिवर्ष करीब पांच सौ छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं। उपलब्ध संसाधन के मुताबिक पढ़ाई की बेहतर व्यवस्था है। खेल मैदान का अभाव है। विद्यालय परिसर में ही बच्चों की अन्य गतिविधियां कराई जाती है। पर्याप्त शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं। केंद्रीय विद्यालय संगठन पटना संभाग में लखीसराय के बच्चों ने हर साल बेहतर प्रदर्शन किया है। अपना भवन नही रहने से परेशानी होती है।
देवनाथ राम, प्राचार्य, केंद्रीय विद्यालय लखीसराय।
केंद्रीय विद्यालय के लिए जल्द ही भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। हाल ही में डीएम की अध्यक्षता में केंद्रीय विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक में भूमि उपलब्ध कराए जाने पर चर्चा हुई थी। किऊल से चानन जाने के रास्ते में चार एकड़ भूमि की खोज की गई है। उस पर अंतिम मुहर लगनी है। शिक्षा विभाग की आपत्ति के चलते फाइल लौट आई है। जल्द ही आपत्ति निराकरण कर भूमि उपलब्ध कराने की दिशा में कार्रवाई की जाएगी।
ब्रजेश कुमार विकल, ओएसडी डीएम, लखीसराय।