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अचानक मदरसों से गायब हो गये हजारों बच्‍चे, सामने आयी ये बड़ी वजह

एक दर्जन से अधिक मदरसों में बच्चों की तादाद शून्य हो गई। इसके पहले तक इन मदरसों में शत प्रतिशत बच्चों को साइकिल, पोशाक व छात्रवृत्ति की राशि मिल रही थी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 19 Jan 2018 06:33 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jan 2018 10:35 PM (IST)
अचानक मदरसों से गायब हो गये हजारों बच्‍चे, सामने आयी ये बड़ी वजह
अचानक मदरसों से गायब हो गये हजारों बच्‍चे, सामने आयी ये बड़ी वजह

बांका [राहुल कुमार]। बैंक खाता का आधार लिंक हो जाने से बिहार के बांका जिले में तीन दर्जन मदरसा के करीब 10  हजार बच्चे अचानक गायब हो गये। पहले उन बच्‍चों को सरकारी प्रोत्साहन राशि मिल रही थी।

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दरअसल, आधार ने मदरसा में नामांकित बच्चों के गड़बड़झाला को उजागर किया है। इससे करीब तीन दर्जन मदरसा में पढ़ने वाले पहली से 12वीं तक में नामांकित छात्र-छात्राओं को इस बार साइकिल, पोषाक, नेपकिन, छात्रवृति आदि की राशि का लाभ नहीं मिल पाएगा। जिले के केवल दो मदरसा ने इस शैक्षणिक सत्र में गिनती के कुछ छात्रों के लिए राशि की मांग की है।

क्यों बनी ऐसी स्थिति

जानकारी के अनुसार, जिला के मदरसा और संस्कृत विद्यालयों में नामांकित अधिकांश बच्चे किसी ना किसी हिंदी विद्यालय में भी नामांकित होते हैं। वे पढ़ाई हिंदी विद्यालयों में करते हैं, लेकिन योजना का लाभ लेने के वक्त वे मदरसा और संस्कृत विद्यालयों से दोहरी लाभ हासिल कर लेते थे। लेकिन, इस बार बैंक खाता से भुगतान के साथ आधार लिंक खाता में ही योजना राशि का भुगतान करने से ऐसे बच्चों की मुश्किलें बढ़ गई। मामला फंसने के डर से किसी मदरसा ने इस बार 75 प्रतिशत उपस्थिति नहीं पूरी होने का बहाना बना कर इसकी सूची भी जिला कार्यालय को नहीं सौंपी। ऐसे में अब उन्हें किसी प्रकार का दुबारा लाभ नहीं मिल सकेगा।

क्या कहते हैं जानकार

मदरसा शिक्षा के जुड़े शिक्षकों ने बताया कि नगद राशि बंटने का सिस्टम जारी रहने तक सभी मदरसा ने राशि का उठाव किया। लेकिन, आधार लिंक बैंक खाता में राशि भेजने की बात पर अब कोई स्कूल राशि नहीं लेता है। वे बताते हैं कि यह सच है कि अधिकांश मदरसा और संस्कृत विद्यालय में हिंदी विद्यालय का ही बच्चा नामांकित रहता है। गहराई से जांच पर इसकी सच्चाई सामने आएगी।

किस मदरसा की कैसी हालत

जिला लेखा योजना कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस साल केवल दो अल्पसंख्यक विद्यालय निर्मला हरिमोहरा और आजाद विशनपुर ने ही करीब चार सौ बच्चों की सूची भेजी है। इसके अलावा  कैथाटीकर, खड़हरा, विशनपुर, कदमामोड़, कुर्माहाट, ताहिपुर, मिल्की दोस्तानी आदि से किसी बच्चे की सूची नहीं आई। पहले इन मदरसों से भी हजारों की संख्या में नाम आते थे। पिछले वर्ष तक मदरसा के 10 हजार बच्चों को योजना का लाभ मिलता था।

क्या कहते हैं अधिकारी

लेखा योजना 75 प्रतिशत उपस्थिति वाले बच्चों के लिए राशि ही मांग करता है। इस बार मदरसा और संस्कृत दोनों ने इसकी सूची नहीं दी। केवल दो विद्यालय ने इसकी मांग की है। उन्हें इसकी राशि मिलेगी। बांकी को राशि नहीं मिलेगी।

सतीश प्रसाद सिंह, डीपीओ लेखा योजना


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