मिसाल-बेमिसाल: बिहार का एक गांव जहां हिंदू सजाते मुहर्रम का अखाड़ा, सौ वर्षों से कायम परंपरा
बिहार के कटिहार में सांप्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है। यहां के एक गांव में हिंदू व मुसलमान मिलकर मुहर्रम मनाते हैं।
कटिहार [संजीव राय]। बिहार के कटिहार में सौ सालों से सांप्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल देखने को मिल रही है। यहां के हसनगंज प्रखंड की जगरनाथपुर पंचायत के हरिपुर गांव में मुहर्रम का जुलूस हिंदू परिवार के लोग निकालते हैं। वे पहलाम भी करते हैं। गांव के हिंदू परिवारों की बड़ी आबादी रोजा रखती है और पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार ताजिया का जुलूस निकालती है। इसमें दोनों समुदायों के लोगों की सहभागिता रहती है।
पारंपरिक रीति के अनुसार होता आयोजन
मुहर्रम को लेकर यहां सभी तैयारी पारंपरिक रीति के अनुसार होती है। लोग नियमानुसार अखाड़ा सजाते हैं। इमाम हुसैन के जयकारे के साथ जुलूस निकाला जाता है। निशान लेकर दोनों समुदाय के लोग सामूहिक रूप से करतब दिखाते हैं। यहां झरनी गाते हुए फातिया पढ़ा जाता है और मजार पर चादरपोशी भी की जाती है। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होती हैं।
मुहर्रम का जुलूस निकालने की पुरानी परंपरा
गांव में स्थित स्व. छेदी साह के मजार (समाधि) से मुहर्रम का जुलूस निकालने की पुरानी परंपरा है। शंकरलाल साह, विकास कुमार साह, विभा देवी, द्रौपदी देवी, राजेंद्र साह, अर्जुनलाल साह, राजलक्ष्मी देवी, माया देवी, कुमोद रानी, श्याम सुंदर साह, शिवजी सिंह, राजू साह, सुंदर, दुखन मंडल आदि ने बताया कि पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपरा आज दोनों समुदायों की एकता की मिसाल है।
इस बार भी ताजिया जुलूस की तैयारी
इस बार भी ताजिया जुलूस की तैयारी की गई है। प्रमुख मनोज कुमार मंडल, पंसस प्रतिनिधि सदानंद तिर्की आदि ने बताया कि यह परंपरा इस गांव को अलग पहचान देती है। हमारे गांव का आयोजन क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।