बिहार का एक स्कूल जहां रोज गूंजती संविधान की 'प्रस्तावना', लगते 'जय हिंद' के नारे
बिहार के एक स्कूल में छात्राएं सालों भर देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत रहतीं हैं। वहां रोज संविधान की प्रस्तावना गूंजती है।
किशनगंज [अभिषेक भास्कर]। हाल ही में गणतंत्र दिवस के अवसर पर देशभक्ति गीतों और नारों की गूंज सुनाई पड़ी। आगे महात्मा गांधी के शहादत दिवस 30 जनवरी को भी देशभक्ति का ऊफान देखने को मिलेगा। लेकिन, इससे अलग बिहार का एक स्कूल ऐसा भी है, जहां हर दिन देशभक्ति का होता है। वहां रोज संविधान की प्रस्तावना गूंजती है। जय हिंद के नारे भी लगते हैं। हम बात कर रहे हैं किशनगंज के डुमरिया बालिका उच्च विद्यालय की।
दो वर्ष पहले की बात है। इस जिले के कुछ शिक्षक प्रशिक्षण के लिए पटना गए थे। प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकोंं को वहां संविधान की प्रस्तावना का पाठ कराया गया। प्रशिक्षण से लौटने के बाद शिक्षकों ने विद्यार्थियों के साथ अपना अनुभव साझा किया। इसी क्रम में संविधान की प्रस्तावना के पाठ की भी बात सामने आई। संविधान की प्रस्तावना के महत्व को समझने के बाद छात्राओं की ओर से यह सुझाव दिया गया कि उन्हें भी प्रस्तावना का वाचन कराया जाए।
छात्राओं के सुझाव की सभी शिक्षकों ने सराहना की। इसके बाद यह तय हुआ कि रोजाना के प्रार्थना सत्र में ही संविधान की प्रस्तावना का वाचन कराया जाए। तब से विद्यालय में यह परंपरा शुरू हो गई।
राष्ट्र प्रेम की भावना से ओप-प्रोत छात्राएं
शहर के डुमरिया बालिका उच्च विद्यालय की छात्राएं केवल प्रस्तावना का वाचन नहीं करतीं हैं, बल्कि वे राष्ट्र भावना से ओतप्रोत भी हैं। छात्राओं में शिप्रा दास, गुडिय़ा खातून, रूपा कुमारी, इशिका मुखर्जी, अर्पिता कुमारी आदि बताती हैं कि संविधान की आत्मा उसकी प्रस्तावना है। देश के कानून में हमारा संविधान सर्वोपरि है।
वे कहती हैं कि यही संविधान हम बेटियों को हरेक क्षेत्र में बराबरी का हक भी प्रदान करता है। इसलिए इसकी रक्षा के लिए हम रोज प्रार्थना करती हैं।
दो साल से चल रहा सिलसिला
विद्यालय के प्राचार्य अब्दुल कदीर, शिक्षक अक्षय कुमार, सुनीता कुमारी आदि ने बताया कि करीब दो साल से प्रार्थना के वक्त छात्राओं को संविधान की प्रस्तावना का वाचन कराया जा रहा है।
यह है संविधान की प्रस्तावना
''हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करानेवाली, बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मसमर्पित करते हैं।''