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बांका में एक प्राइवेट मुंशी चला रहा अंचल का राजस्व कार्यालय, हर माह 10 लाख की अवैध वसूली, जानिए इनकी मनमर्जी

प्राइवेट मुंशी नक्सलियों की तरह पूरी तरह अंचल के काम पर अपना कब्जा जमा चुके हैं। राजस्व का अधिकांश सरकारी पंजी और कागजात प्राइवेट लोगों के हाथ है। सरकारी कर्मी या अधिकारी मुश्किल से कभी इसपर नजर डालते हैं।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 02:14 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 02:14 PM (IST)
बांका में एक प्राइवेट मुंशी चला रहा अंचल का राजस्व कार्यालय, हर माह 10 लाख की अवैध वसूली, जानिए इनकी मनमर्जी
तीन से पांच पंचायतों की जिम्मेदारी के बाद सिस्टम हाइजेक

जागरण संवाददाता, बांका ।  बिहार में जमीन राजस्व का प्राइवेट मुंशी समानांतर सरकार संचालित कर रहे हैं। वे नक्सलियों की तरह पूरी तरह अंचल के काम पर अपना कब्जा जमा चुके हैं। राजस्व का अधिकांश सरकारी पंजी और कागजात प्राइवेट लोगों के हाथ है। सरकारी कर्मी या अधिकारी मुश्किल से कभी इसपर नजर डालते हैं। नतीजा, प्राइवेट मुंशी की मनमर्जी इन कागजों पर खूब चलती है। बकायदा एक हल्का कर्मचारी किसी भी सरकारी हाकिम से बड़ा कार्यालय शहर में ले रखा है। जबकि इसके लिए एक रुपया सरकार से उनको नहीं मिलना है। यानी राजस्व का अधिकांश काम निजी कार्यालय और निजी लोगों के माध्यम से हो रहा है। ऐेसे में काम कितना सही और कितना गलत के साथ कितनी अवैध राशि का खेल होता होगा, इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा जा सकता है। एक हल्का कर्मचारी अपने कार्यालय में दो से तीन प्राइवेट मुंशी की बहाली किए हुए हैं। ये मुंशी कम, रैयतों से पैसा वसूली की बिचौलियागिरी ज्यादा करते हैं। शुक्रवार रात प्राइवेट मुंशी राजेश कुमार पंडित पर केस और गिरफ्तारी के बाद उनका कार्यालय शनिवार को बंद रहा।

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अधिकारियों तक पहुंचता प्राइवेट मुंशी की वसूली

जानकारी के अनुसार एक हल्का कर्मचारी के कार्यालय में रैयतों से हर महीने 10 लाख रुपये की औसतन वसूली होती है। हर कर्मचारी के पास से तीन पांच राजस्व ग्राम का प्रभार हैं। कोई भी दाखिल-खारिज ढाई से तीन हजार रुपये से कम में नहीं होता है। एक-दो दाखिल खारिज करवाने वालों को यह पांच हजार रूपया से कम नहीं लगता है। यह सब तब होता है कि जब आपकी जमीन में कोई कागजी कम नहीं हो। किसी कमी पर बांका में 10 हजार से 20 लाख रूपये तक अवैध वसूली जमीन के एक-एक दाखिल-खारिज केस में होने की बात सामने आ चुकी है। पैसे का सारा खेल प्राइवेट मुंशी ही करता है। वह इस पैसे से कार्यालय का किराया सहित सभी खर्च के अलावा ऊपर के अधिकारियों तक उसका कमीशन पहुंचाता है।

जिला में चल रहा राजस्व का 39 अवैध दफ्तर

जमीन विवाद के बढ़ रहे मामलों के मूल में अंचल और राजस्व का जिला में अभी संचालित हो रहा 39 अवैध दफ्तर है। सरकार ने इसे खोलने की अनुमति नहीं दी। यही इस अवैध कारोबार की जड़ है। राजस्व कार्यालय की जानकारी के अनुसार जिला में अभी 185 पंचायतों के लिए 39 हल्का कर्मचारी हैं। सबका अपना एक-एक कार्यालय है। यह कार्यालय पूरी तरह भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी है। बांका कटोरिया रोड के विजयनगर, अलीगंज, बाबू टोला सहित अन्य जगहों प्राइवेट कर्मी काम करते हैं। कुछ गिरफ्तार आरोपित ने आलीशान मकान भी विजयनगर में बनाया है।

क्‍या कहते हैं अंचलाधिकारी

अंचलाधिकारी सुजीत कुमार ने कहा कि प्राइवेट कर्मी से मेरा कोई लेना देना नहीं है। किसी भी प्राइवेट कर्मी को सरकारी दस्तावेज नहीं दिया जाता है। गिरफ्तार आरोपित से मेरा कोई संबंध नहीं है।


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