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सावधान रहें...! सर्दी-खांसी है, कहीं आप... कोरोना वायरस से पीडि़त तो नहीं Bhagalpur News

कोरोना वायरस से पीडि़त व्यक्ति को भी सर्दी-खांसी होती है। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है। कोरोना वायरस के मरीज अभी भारत में नहीं हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 08:46 AM (IST)
सावधान रहें...!  सर्दी-खांसी है, कहीं आप... कोरोना वायरस से पीडि़त तो नहीं Bhagalpur  News
सावधान रहें...! सर्दी-खांसी है, कहीं आप... कोरोना वायरस से पीडि़त तो नहीं Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो डॉक्टर में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार ने फोन के माध्यम से पाठकों की समस्याओं का समाधान किया। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में सहायक प्राध्यापक डॉ. राकेश कुमार ने पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कोरोना वायरस से पीडि़त व्यक्ति को भी सर्दी-खांसी होती है। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है। कोरोना वायरस के मरीज अभी भारत में नहीं हैं। वैसे मौसम में परिवर्तन होने से एलर्जी से पीडि़त बच्चों को सर्दी-खांसी होने की आशंका ज्यादा रहती है। इस समय वयस्कों को भी सतर्क रहना चाहिए। धूल वाले स्थान पर जाने से बचना चाहिए। सर्दी भी संक्रामक बीमारी है। सर्दी से पीडि़त बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए। इससे अन्य बच्चे भी पीडि़त हो सकते हैं। छींकने या खांसने पर टिशू पेपर का उपयोग करना लाभदायक इसलिए है कि उसे एक बार ही उपयोग किया जा सकता है। अगर रुमाल या तौलिया का उपयोग कर रहे हैं तो उसकी अच्छी तरह धुलाई करें।

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प्रश्न : तीन वर्ष का बेटा है। दो वर्षों तक टीका नहीं दिलवा सकी हूं, क्या अब टीके दिलवा सकती हूं। - प्रियंका शर्मा, मायागंज

जो टीका नहीं दिलवाई हैं, डॉक्टर की सलाह पर दिलवा सकती हैं।

प्रश्न : बच्चे को सर्दी-खांसी है, क्या करें। - अंगद कुमार (खगडिय़ा), सुशांत कुमार, (नवगछिया)

अगर लगातार सर्दी हो रही है तो इलाज करवा लें। बच्चे को धूल के संपर्क में नहीं आने दें, एलर्जी से भी ऐसा हो सकता है।

प्रश्न : बदलते मौसम में बच्चे को कैसे स्वस्थ रखें। - मो. अफरोज, मुरलीगंज

बदल रहे मौसम में बच्चे एलर्जी से पीडि़त होते हैं। उससे बचने के लिए धूल और धुंआ के संपर्क में बच्चों को नहीं आने दें। मौसमी फल खिलाएं।

प्रश्न : नौ वर्ष की बेटी है। पढ़ाई में ध्यान नहीं रहता। - सुजाता, भागलपुर

हर बच्चे एक जैसा नहीं होते। दूसरे बच्चों के साथ तुलना नहीं करें। पढ़ाने में ज्यादा ध्यान दें।

प्रश्न : डेढ़ वर्ष का बच्चा है। उसे कब्जियत है। - संजय कुमार राय, मड़वा

छह माह के बाद बच्चे को अनाज और फल खिलाने की आदत डालें। धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा।

प्रश्न : चार वर्ष का बच्चा है। उसे खुजली है। - रोहित, सुलतानगंज

बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से लाल दाने निकलते हैं। एंटी बायोटिक दवाई दानों पर लगाएं। सुबह-शाम स्नान करें। कपड़े को गर्म पानी से धोएं।

प्रश्न : छह वर्ष का बच्चा है। धूप में निकलता है तो आंखे लाल हो जाती हैं। - सुजित कुमार, नाथनगर

आंखों में पानी के छींटे डालें। चश्मा पहनाकर बच्चा को बाहर निकालें। चिकित्सक की सलाह पर ही एंटी एलर्जिक दवा डालें।

प्रश्न : एक वर्ष की बच्ची है, डब्बा का दूध पिला सकते हैं। मिक्सी में पीसकर चावल-दाल खिलाती हूं। - सरोज, नाथनगर

मिक्सी में पीस पर खिलाने की आदत नहीं डालें। गाय समेत डिब्बा का दूध पिलाना फायदेमंद नहीं है। अपना दूध पिलाएं। आप जो खाती हैं उसे खिलाएं। केला या मौसमी फल भी खिला सकती हैं।

प्रश्न : नौ माह की बच्ची है। दुबली है। शरीर का विकास नहीं हो रहा है। उसका वजन सात किलो है। - शंकर कुमार गुप्ता, नारायणपुर

आठ माह में बच्ची का वजन सात-आठ किलो है तो चिंता की बात नहीं है। जबरन नहीं खिलाएं। केला पौष्टिक होता है, उसे खिलाएं। सूजी का हलवा, दलिया, रोटी-दाल, सकरकंद उबालकर खिलाएं।


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