नववर्ष पर घर से निकलें, दिखेगी भारतीय संस्कृति की झलक और जीवंतता Bhagalpur News
नववर्ष पर भागलपुर में कई पर्यटन स्थल सज गए हैं। एक जनवरी को सुबह से ही यहां लोगों का तांता लग जाएगा।
भागलपुर, जेएनएन। अंग नगरी के लोग नववर्ष पर पर्यटन स्थल की सैर कर सकते हैं। भागलपुर में पर्यटन की संस्कृति से भारतीय संस्कृति की झलक और जीवंतता आज भी देखने को मिलती है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता के कारण गंगाजल व रेनकोट जैसी कई फिल्में भी यहीं शूट की गई थीं। गैंग ऑफ वासेपुर-2 को भी यहीं शूट किया गया था।
भागलपुर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां पर्यटक आसानी से भ्रमण कर सकते हैं। यहां के कुछ मुख्य आकर्षण में से लाजपत पार्क, बूढ़ानाथ मंदिर, चंपानगर जैन मंदिर, घंटाघर, पीर बाबा की दरगाह, रविंद्र नाथ भवन, गुरुद्वारा, जयप्रकाश उद्यान आदि हैं। मंदार पर्वत, ओढऩी जलाशय, बिलासी डैम, चांदन डैम सहित भागलपुर में बटेश्वर स्थान, विक्रमशिला ऐतिहासिक धरोहर, महर्षि मेंहीं आश्रम और अजगवीनाथ मंदिर लोगों के घूमने के लिए अच्छी जगह हैं।
घुरनपीर शाह दरगाह
घुरनपीर शाह बाबा की दरगाह कचहरी के पास स्थित है। यह दरगाह उनके अनुयायियों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यहां सभी धर्मों (हिंदू, मुस्लिम, सिख व ईसाई) के लोग दर्शन करने के आते हैं। प्रत्येक शुक्रवार को यहां भारी भीड़ लगती है। लोग इस दिन पीर बाबा को चादर व जलेबी चढ़ाकर दुआ मांगते हैं। इस स्थान को पवित्र स्थल माना जाता है।
महर्षि मेंहीं आश्रम
यह एक रमणीक स्थल है। इसे कुप्पा घाट महर्षि मेंहीं आश्रम के नाम से जाना जाता है। यह गंगा नदी के तट पर स्थित है। आश्रम के अंदर एक सुरंग है, जो मुंगेर को जोड़ती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महान संत महर्षि मेंहीं ने इसी गुफा में कई महीने चटाई पर बिताए थे। जहां हर साल हजारों पर्यटक दर्शन करने आते है। कुप्पाघाट में खूबसूरत बगीचे हैं, जिनका रामायण में उल्लेख किया गया है। लोगों का मानना है कि भगवान बुद्ध का जन्म इसी क्षेत्र में हुआ था।
अजगवीनाथ धाम
अजगवीनाथ धाम को अजगवीनाथ महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो भागलपुर का सबसे प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस मंदिर का अस्तित्व अभी तक रहस्य ही बना हुआ है। लोगों का मानना है कि यह स्वयं का स्थापित धाम है। अजगवीनाथ धाम एक एतिहासिक और पवित्र स्थल है। इस मंदिर का निर्माण एक पत्थर से हुआ है जिसे अविश्वसनीय तरीके से बनाया गया है। इस मंदिर में शिलालेखों को भी उत्कीर्ण किया गया है।
खानगाह-ए-शाहबाजिया
खानगाह-ए-शाहबाजिया मुसलमानों का एक पवित्र स्थल है। इस स्थल के बारे में कई फारसी और अरबी किताबों में उल्लेख मिलता है। खानगाह-ए-शाहबाजिया के पास में ही एक लाइबे्ररी है, जिसमें कई पारसी और अरबी किताबें हैं जो यहां की सुंदरता और महत्व में चार चांद लगा देती हैं।
बूढ़ानाथ मंदिर
बूढ़ानाथ मंदिर को दुधेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो एक एतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर गंगा नदी के तट पर अवस्थित है।
गंगा डॉल्फिन अभयारण्य
गंगा डॉल्फिन अभयारण्य गंगा की डॉल्फिनों से भरा एक प्रमुख आकर्षण स्थल है। सुल्तानगंज से कहलगांव के बीच सौ से अधिक डॉल्फिन हैं, जिसे सोंस भी कहा जाता है। यह सांस लेने के लिए पानी से बाहर छलांग लगाती हैं। इसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं। इस अभयारण्य में मीठे पानी वाले कछुए और सौ से अधिक प्रजातियों के जीव रहते हैं। गंगा नदी का सूबसूरत नजारा अक्टूबर और जून में देखने को मिलता है।