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25 हजार लोगों को मिले 60 करोड़ ऋण, बनेंगे सबल

कोरोना और लॉकडाउन के कारण हर तबके की हालत पतली हो गई है। बैंक इन सभी को ऋण मुहैया कराकर संबल बना रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 10:16 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 06:16 AM (IST)
25 हजार लोगों को मिले 60 करोड़ ऋण, बनेंगे सबल
25 हजार लोगों को मिले 60 करोड़ ऋण, बनेंगे सबल

भागलपुर। कोरोना और लॉकडाउन के कारण हर तबके की हालत पतली हो गई है। छोटे से बड़े व्यवसायियों और उद्योगपतियों की कमर टूट गई है। ऐसे में उन्हें फिर से पटरी पर लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। बैंक इन सभी को ऋण मुहैया कराकर संबल बना रहा है। जिले में अभी तक 25 हजार लोगों को लोन मुहैया कराया गया है। बैंक ने इन सबों के बीच 60 करोड़ का ऋण बांट चुकी है। बैंक एमएसएमई को अपनी वìकग कैपिटल के 10 से 15 फीसदी के बराबर लोन दिया गया है। साथ ही सभी को अतिरिक्त क्रेडिट लाइन उपलब्ध करा रहे हैं।

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प्रधानमंत्री सृजन योजना का लाभ

जिला उद्योग केंद्र के प्रबंधक रामशरण राम ने बताया कि लोग प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना से निर्माण क्षेत्र में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपये तक के ऋण की व्यवस्था है। सेवा क्षेत्र में गैरेज, टेंट हाउस, रिपयेरिग सेक्टर में लाभ ले सकते हैं। इसमें न्यूनतम आठवीं पास शैक्षणिक योगयता होनी चाहिए। योजना के तहत शहरी क्षेत्र में सामान्य जाति को 15 फीसद एवं एससी, एसटी, ओबीसी व महिला को 25 फीसद का अनुदान दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में सामान्य वर्ग को 25 फीसद और एससी, एसटी, ओबीसी, महिला व दिव्याग को 35 फीसद अनुदान मिलेगा। नया उद्योग शुरू करना चाहते हैं लेकिन किस माध्यम से आíथक मदद मिलेगी।

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पटरी पर आया रियल एस्टेट फिर भी आर्थिक सहायता की जरूरत

कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के भागलपुर चैप्टर के अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने कहा कि जिले में लॉकडाउन के बाद रियल एस्टेट निर्माण क्षेत्र धीमी गति से वापस पटरी पर लौट रहा है। लॉकडाउन से पहले लगभग 15 प्रोजेक्ट निर्माण चल रहा था। इसमें बिल्डरों तथा ग्राहकों का लगभग 100 करोड़ फंस गया थे। अनलॉक-एक में आठ प्रोजेक्ट ने रफ्तार पकड़ी है। लेकिन, अब भी निर्माण सामग्री तथा लेबर की कमी, ग्राहकों द्वारा किश्त जमा करने में आनाकानी, निर्माण सामग्रियों की बढ़ती कीमतों ने परेशानी बढ़ा दी है। इस क्षेत्र में सरकार की ओर से आर्थिक सहायता की जरूरत है। प्रोजेक्ट की स्वीकृति अथवा निबंधन में देरी के कारण भी लागत बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों को ऋण मिला है उससे खास लाभ नहीं है। दो से तीन लाख रुपये तो व्यापारियों के दुकान किराया, स्टॉफ सैलरी और अन्य चीजों में खर्च हो जाएंगे। सरकार की ओर से और बड़ा ऋण मुहैया कराने की जरूरत है।

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अभी तक करोड़ों रुपये आवंटित

लीड बैंक प्रबंधक (यूको) मोना कुमारी ने बताया कि जिले के बैंकों की ओर से 25 हजार लोगों में क्रेडिट सुविधा के तहत 60 करोड़ से ज्यादा ही लोन आवंटित किया गया है। बैंक अधिकारियों ने बताया कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद सरकारी बैंक आपात क्रेडिट सुविधा के तहत वìकग कैपिटल के 10 फीसदी के बराबर टॉप-अप लोन मुहैया करा रहे हैं।

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