45 साल के दिव्यांग को दे दिया वृद्धा पेंशन, जिला प्रशासन के रजिस्टर उम्र 104 के पास
भागलपुर का एक दिव्यांग युवक 2004 में डीएम के दरबार में पेशन मांगने गए थे। 2004 में दिव्यांग पेंशन योजना की जगह उनके नाम से वृद्धा पेंशनजारी कर दिया। इसके बाद से उन्होंने सुधार के लिए डीएम एसडीओ व कल्याण विभाग में 123 आवेदन दे चुके हैं।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। 45 पार कर चुके दिव्यांग मृत्युंजय कुमार राय 2004 में जिलाधिकारी के दरबार में पेंशन मांगने गए थे। तब 30 साल के थे। तत्कालीन डीएम ने उनकी अर्जी पर आदेश जारी कर दिया। मृत्युंजय खुशी-खुशी घर लौट आए। लेकिन, दिव्यांग पेंशन योजना की जगह उन्हें वृद्धा पेंशन का लाभ दे दिया गया, जो 60 साल बाद के वृद्ध लोगों को दिया जाता है। यह प्रमाण पत्र तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी कार्यालय भागलपुर ने जारी किया था। हर माह पेंशन भी मिलने लगा। चंद माह बाद मृत्युंजय को इसका पता चला। वह सकते में आ गए। तब से आज तक 123 आवेदन डीएम, एसडीओ व कल्याण विभाग में दे चुके हैं। लेकिन, उसकी अर्जी पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी। दिव्यांग मृत्युंजय अपनी दिव्यांगता के साथ साथ अब सरकारी व्यवस्था का भी मार झलने को विवश है। इनकी फरियाद को सुनने वाला कोई नहीं है। बार बार दिए गए आवेदनों पर भी आज तक विचार नहीं हो पाया है।
45 साल के मृत्युंजय की उम्र जिला प्रशासन के रजिस्टर में हो चुकी है 104
रोज व्हील चेयर से समाहरणालय का चक्कर लगाते और लौट जाते हैं। 2018 में एसडीओ सदर भागलपुर ने उनकी अर्जी पर ध्यान देते हुए उसमें सुधार का आदेश भी दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। जिला प्रशासन ने मृत्युंजय को 30 साल में ही वृद्ध मानकर पेंशन चालू कर दिया था। इस अजब-गजब खेल में 45 साल के मृत्युंजय की उम्र जिला प्रशासन के रजिस्टर में 104 साल की हो चुकी है।
राय हरि मोहन ठाकुर लेन, बरारी निवासी मृत्युंजय कहते हैं कि तब डीएम के समक्ष व्हील चेयर से पहुंचे थे। इसके बावजूद दिव्यांग पेंशन योजना की जगह वृद्धावस्था पेंशन योजना का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इसमें सुधार के लिए कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं। दोनों पैर से दिव्यांग है। पर, कोई सुनवाई नहीं हो रही।