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कटिहार का अनोखा पुल: 15 साल से यात्रियों का बना है दोस्‍त, जर्जर होकर भी नहीं छोड़ा कभी साथ

Katihar विकास को आइना दिखा रही 15 साल से ध्वस्त मुख्यमंत्री सड़क की पुलिया। लेकिन यात्रियों को न‍दी से यही चचरी का पुल पार लगाता है। 2007 से पुलिया ध्वस्त है। बड़ी आबादी को इसी चचरी के पुल का सहारा है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 01:32 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 01:32 PM (IST)
कटिहार का अनोखा पुल: 15 साल से यात्रियों का बना है दोस्‍त, जर्जर होकर भी नहीं छोड़ा कभी साथ
कटिहार का यह चचरी पुल। जो प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को पार कराता है।

संवाद सूत्र, अमदाबाद (कटिहार)। अमदाबाद प्रखंड अंतर्गत वर्ष 2007 से पुलिया के ध्वस्त होने से बड़ी आबादी को आवागमन में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। गोपालपुर चौक से चौकचामा गांव जाने वाली मुख्यमंत्री सड़क में बनी पुलिया साल 2007 में आई भीषण बाढ़ में ध्वस्त हो गई थी। तब से अब तक ध्वस्त पुलिया का निर्माण नहीं कराए जाने से लोगों को आवागमन में कठिनाई हो रही है।

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पुलिया को ध्वस्त हुए करीब 15 साल से अधिक हो चुका हैं। इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी पुलिया का निर्माण नहीं होने से बड़ी आबादी के समक्ष आवागमन की समस्या बनी हुई है।

बाढ़ बरसात के दिनों में बढ़ती है समस्या

जानकारी के अनुसार दक्षिणी करीमुल्लापुर, उत्तरी करीमुल्लापुर, दक्षिणी अमदाबाद, पूर्वी करीमुल्लापुर इन चारों पंचायत के चामा छर्रामारी, बैजनाथपुर, गोपालपुर, सीजटोला, बलुआ सहित कई गांव के लोग इस सड़क होकर आना-जाना करते हैं। साथ ही प्रखंड मुख्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अमदाबाद आदि आने के लिए भी लोगों के लिए यह मुख्य मार्ग है। लेकिन बरसात का दिन शुरू होते ही इस होकर आवागमन काफी कठिन हो जाता है। सूखे दिनों में लोग ध्वस्त पुलिया के बगल से किसी तरह आना-जाना कर लेते हैं। लेकिन बरसात के शुरू होते ही इस होकर आवागमन लगभग बंद सा हो जाता है।

क्या कहते हैं ग्रामीण: इस बाबत ग्रामीण मन्नु मंडल, पुरुषोत्तम मंडल, नीतीश मंडल, उपेंद्र मंडल ने कहा कि ध्वस्त पुलिया के निर्माण की मांग को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों एवं बड़े अधिकारियों का दरवाजा खटखटा चुके हैं। लेकिन आश्वासनों के सिवा कुछ नहीं मिलता है।

चचरी पुल बना करते हैं आवागमन: ग्रामीणों ने बताया कि पुलिया करीब 200 मीटर में ध्वस्त है। सूखे दिनों में किसी तरह आवागमन कर लेते हैं। लेकिन बरसात के दिनों में इस होकर आवागमन बहाल रखने हेतु चचरी का पुल बनाकर जान जोखिम में डालकर किसी तरह आवागमन करते हैं। लेकिन यह भी काफी जोखिम भरा होता है। ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष आई भीषण बाढ़ के दौरान चचरी पुल पानी की तेज धार में बह गई थी। पानी घटने के बाद पुन: उक्त स्थल पर आवागमन बहाल रखने हेतु चचरी पुल का निर्माण किया गया है। ताकि आवागमन बहाल रखने के साथ ही गर्भवती महिलाओं एवं अन्य गंभीर मरीजों को ससमय अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। लोगों ने बताया कि चार पंचायतों के विभिन्न गांवों की करीब 20 हजार की आबादी का आवागमन इस टूटे पुल की वजह से प्रभावित होता है।


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