बिहार का मिनी शिमला सिमुलतला, जहां आज भी हैं तीन सौ से ज्यादा कोठियां, भू माफियाओं ने छीन ली रंगत
Heritage of Bihar बिहार का मिनी शिमला सिमुलतला कोठियों का शहर भी कहा जा सकता है। यहां तीन सौ से ज्यादा कोठियां हैं। एक समय था कि जब यहां देश की कई नामचीन हस्तियां रुख करती थी लेकिन भू माफियाओं की ऐसी नजर लगी कि यहां की रंगत छीन गई।
संदीप कुमार सिंह, सिमुलतला (जमुई)। Heritage of Bihar: बिहार का मिनी शिमला के नाम से प्रसिद्ध सिमुलतला कभी देश के नामचीन हस्तियों की पहली पसंद थी। आज भी उन लोगों की कई कोठियां, कई कोठियों के अवशेष उस वक्त की समृद्धि की कहानी बयां कर रही है। यह दीगर बात है कि अब इसके मालिक बदल गए हैं। कहते हैं सर्दी के मौसम में प्रसिद्ध हस्तियां सपरिवार यहां प्रवास कर स्वास्थ्य लाभ के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्यता का आनंद लेते थे। कई कोठियों में गुलाब फूल की बगिया लोगों को अपनी ओर खींच लेता था।
राज्यपाल सह मुख्य न्यायाधीश, फिल्म निर्माता, चिकित्सक व अंग्रेजी हुकूमत के ओहदेदारों की कोठियां यहां गुलजार हुआ करती थी। पुराने लोग इन कोठियों की रौनक की कहानी आज भी सुनाते नहीं थकते। कालांतर में दलालों द्वारा डर दिखाकर कोठियां खरीद ली गई। कई कोठियों पर दबंगों ने कब्जा जमा लिया। लिहाजा, औने-पौने भाव में कोठियां बिक गई। अगर इन्हें संभाला गया होता तो ये कोठियां ऐतिहासिक महत्व के साथ ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना होता है।
तीस सौ से अधिक कोठियां
बांगला के प्रथम मूक बधिर फिल्म निर्माता बीएन सरकार, छोटी रेल लाइन के मालिक आरएन मुखर्जी, पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल सह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्यामल सेन, प्रथम भारतीय लाड एसपी सिन्हा, कांग्रेस अध्यक्ष सुरेंद्र नाथ बैनर्जी, प्रसिद्ध दंत चिकित्सक डा. लाहा, कोलकाता उच्च न्यायालय के कई नामी गिरामी अधिवक्ता, चिकित्सक, बड़े व्यवसायी सहित तीन सौ से भी ज्यादा कोठियां सिमुलतला अवस्थित है।
- -कोड़ियों के भाव बिक गई आलीशान कोठियां
- - यहां की कई विरासत धीरे-धीरे होती जा रहीं गुम
भू-माफिया की लगी नजर
वक्त के साथ भू-माफिया और दलाल प्रवृति के लोगों की नजर इस कोठियों पर लग गई। डर का ऐसा माहौल बनाया गया कि सिमुलतला की सैकड़ों कोठियां औने-पौने भाव में बिक गए। दलाल कोलकाता जाकर सीधे-साधे कोठी मालिकों को भय दिखाया कि सिमुलतला में अपराध चरम पर है। प्रतिदिन नक्सली घटना के साथ चोरी, डकैती, लूट, दुष्कर्म आदि की घटना हो रही है। परिणामस्वरूप 1990 से लेकर 2020 तक आलीशान बंगले कोडियो के भाव बिक गया। अब इन कोठियों की कई ऐतिहासिक और यादगार स्मृतियां नष्ट हो गई है। यह सिलसिला आज भी बदसूरत जारी है।