बिहार में चमकी की दस्तक? खगड़िया की एक पंचायत में आधा दर्जन बच्चों की बुखार से मौत, हर दिन मिल रहे दो संक्रमित
The acute encephalitis syndrome (AES) यानी चमकी बुखार ने बिहार में फिर दस्तक दे दी है ये सवाल खगड़िया की एक पंचायत में हुई बच्चों की मौत और हर दिन मिल रहे पीड़ितों के बाद उठ रहा है।
भवेश, संवाद सूत्र, बेलदौर (खगड़िया)। बीते अगस्त माह के दौरान खगड़िया की सुदूर बोबिल पंचायत में लगभग आधे दर्जन बच्चों की मौत तेज बुखार से हो गई है। खास बात है कि बुखार लगने के तीन दिनों के अंदर बच्चों की जान चली जाती है। बुखार के साथ पेशाब भी खूब होता है। बुखार आने पर अधिसंख्य लोगों ने ग्रामीण चिकित्सकों का सहारा लिया था। जिले के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डा. दीपक कुमार ने बताया कि अभी उनके पास प्रतिदिन एक से दो चमकी बुखार The acute encephalitis syndrome (AES) से पीड़ित बच्चे आ रहे हैं। इसमें 103-104 डिग्री तक बुखार आता है। पेशाब अधिक आती है और पूरा शरीर टाइट हो जाता है। समय पर इलाज नहीं होने से बच्चों की जान चली जाती है।
इन बच्चों की गई जान
सात अगस्त को बोबिल पंचायत की कुम्हरैली गांव निवासी मुकेश मिस्त्री के पुत्र आयुष की मौत तेज बुखार से हो गई। मुकेश मिस्त्री ने बताया कि बुखार आने पर पहले बेलदौर की एक निजी क्लिनिक में इलाज कराया। वहां ठीक नहीं होने पर मधेपुरा जिले के आलमनगर ले गया। आलमनगर से आयुष को दिखाकर घर लौट रहा था कि रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। तीन दिनों से आयुष को 103-04 डिग्री बुखार था।
10 अगस्त को यहां के मंगल मुखिया की पांच वर्षीय पुत्री पातो कुमारी की मौत हो गई। इससे पहले नौ अगस्त को यहां के देवनारायण शर्मा की ढाई वर्षीय पुत्री प्रियंका कुमारी की मौत तेज बुखार से हो गई। बोबिल पंचायत की फुलबड़िया गांव निवासी प्रेम राम के नौ माह के पुत्र हिमांशु की मौत 21 अगस्त को बुखार से हो गई। पंचायत की सिकंदरपुर निवासी मुनेश्वर सिंह के ढाई वर्षीय पुत्र दिलखुश की मौत भी बुखार से हो गई।
'एक माह के दौरान आधे दर्जन के आसपास बच्चों की मौत बुखार से हुई है। इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी जा रही है।'- संगीता देवी, निवर्तमान मुखिया, बोबिल पंचायत।
'इसकी जानकारी नहीं है। तुरंत मामले की जांच कराई जाएगी।'- डा. सुभाष रंजन झा, पीएचसी प्रभारी, बेलदौर।