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Squad Help: कोविड में बच्चों की परवरिश और सुरक्षा गंभीर चुनौती, बता रहे विशेषज्ञ-कैसे रखें ध्‍यान

Squad Help कोरोना काल में बच्‍चों का कैसे करें देखभाल और सुरक्षा इस विशष पर स्‍वाउड हेल्‍प (Squad Help) में ऑनलाइन परिचर्चा आयोजित की। इसमें दो सौ से ज्‍यादा शामिल हुए। Squad Help के मनीष झा ने बताया कि कोरोना काल में यह परिचर्चा बहुत महत्‍वपूर्ण है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 08:10 AM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 08:10 AM (IST)
Squad Help: कोविड में बच्चों की परवरिश और सुरक्षा गंभीर चुनौती, बता रहे विशेषज्ञ-कैसे रखें ध्‍यान
Squad Help के ऑनलाइन परिचर्चा में शामिल बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास मोरे और मोनोविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. उषा गांवकर।

भागलपुर, ऑनलाइन डेस्‍क। स्‍वाउड हेल्‍प (Squad Help) ने कोविड के दौरान एक ऑनलाइन परिचर्चा की। इस परिचर्चा में मोनोविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. उषा गांवकर और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास मोरे विशेष रूप से आमंत्रित थे। विशेषज्ञों ने कोरोना काल के दौरान कैसे करें बच्‍चों की देखभाल और सुरक्षा, इस पर कई टिप्‍स दिए। इस ऑनलाइन परिचर्चा में 200 से ज्‍यादा लोग जुड़े थे। हालांकि इसमें ज्‍यादातर लोग स्‍वाउड हेल्‍प के सदस्‍य थे। इन लोगों ने भी विशेषज्ञों ने कई प्रश्‍न पूछे।

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कोविड में बच्चों की परवरिश में चुनौतियां और सुरक्षा विषय पर बोलते हुए विशेषज्ञों ने बच्‍चों का विशेष ध्यान कैसे रखें, इस पर जानकारी दी। लॉकडाउन में बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्थिति कैसी होती है, यह जानकारी दी।

डॉ. विकास मेरे ने कहा कि दो साल से छोटे बच्चों को मास्क ना पहनाएं। दो से आठ साल के बच्चों को मास्क अपनी निगरानी में ही पहनाएं। इससे बच्चों का दम घुटने का खतरा रहता है, इस पर विशेष ध्‍यान  रखें। गर्भवती महिला तथा जिनके बच्चे दो साल से छोटे हैं और स्तनपान करते हैं, ऐसी महिलाएं कोरोनारोधी टीका नहीं लें, हालांकि इस विशष पर अभी शोध जारी है। बच्चों को फल और पोषक आहार प्रतिदिन जरूर दें।

मोनोविज्ञान विशेषज्ञ डॉ. उषा गांवकर ने कहा कि आज जब बच्चों को घर के चारदिवारी में रहना पड़ रहा है तो उनका दिनक्रम ठीक रखें। अभी ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। इस कारण बच्‍चों को मोबाइल सहजता से उपलब्‍ध हो रहा है, अभिभावक भी पढ़ाई के नाम पर मोबाइल देते हैं। इस पर अभिभावकों को विशेष ध्‍यान रखने की जरूरत है।

बच्चों से घर के काम में भी सहयोग लें। जैसे कमरा व्‍यवस्थित करवाना। किताब व कॉपी को सही से रखना। कपड़ा को बढि़या से रखवाना। बच्‍चों के साथ अभिभावकों को खेलना चाहिए। घर में ही कई प्रकार के खेल खेले जाते हैं, बच्‍चों के साथ खेलें। यह ध्‍यान रखें कि बच्‍चा मोबाइल में तो नहीं उलझ रहा है। बच्‍चों को सकारात्‍मक सोच की ओर ले जाएं। इस परिचर्चा में मनीष झा, राहुल मिश्रा, प्रसून कृष्‍णा, स्वाति सिंह, खुशबू कुमारी, स्नेहा,  देवव्रत सिंह, राजेश मिश्रा, इंद्रजीत कुमार, अनीता गुप्‍ता, जगदीश, श्‍वेता सिंह, दामयंती रावत, अर्थव भास्‍कर, कृष्‍णा मूर्ति, गीतांजलि, श्रीनिवास, विवेक, राजेश मिश्रा, मधुरी, प्रीतम, स्मिता शर्मा, सीमा परिहारिया, प्रकृति, सचिन सोलंकी, कमलेश चंद्रा, दीपक यादव, अदिति, प्रकृति भरवानी, आदित्‍य बल्‍लभ, हर्षित यादव आदि शामिल थे।

मनीष झा ने बताया कि यह परिचर्चा काफी महत्‍वपूर्ण था। कोरोना संकट से जूझ रहे लोगों को सबसे ज्‍यादा इस बात की चिंता रहती है कि हमारे बच्‍चे इससे प्रभावित नहीं हों। साथ ही बच्‍चों की पढ़ाई भी चलती रहे। विशेषज्ञों ने इस विषय पर महत्‍वपूर्ण जानकारी दी।


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