Nurse's day: लगातार 275 दिनों से प्रतिदिन 12 घंटे पीपीई किट पहनकर कोरोना वायरस से खेल रहीं हैं किरण
Nurses day अपने जान का परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाने आगे आई यह नर्स। बिना अवकाश लिए लगातार 275 दिनों से प्रतिदिन 12 घंटे पीपीई किट पहनकर सिकंदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना वायरस की जांच किरण कर रहीं हैं।
जमुई [विधु शेखर]। अपने साहस के दम पर अब नवल इतिहास बनाना है, बेड़ियों को तोड़कर बस आगे कदम बढ़ाना है। नारी शक्ति की इस कविता को सिकंदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत जीएनएम किरण कुमारी चरितार्थ कर रही हैं। जीएनएम किरण नर्सिंग फील्ड में आने वालों के लिए प्रेरणाश्रोत फ्लोरेंस नाइटिंगल को आदर्श मानकर अपने जान का परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाने में आगे निकल पड़ी है। किरण लगातार 9 महीने अर्थात 270 से 275 दिन बिना कोई छुट्टी लिए अपने कर्तव्यों के साथ लोगों की सेवा भाव में लगी है। स्वास्थ्य विभाग ने इनकी प्रतिभा को देखते हुए कोरोना महामारी की जांच में लगा दिया। किरण जांच में ऐसी लगी कि उन्हें यह काम लोगों की सेवा लगने लगा। प्रतिदिन 10 से 12 घंटा पीपीई किट पहनकर लोगों का आरटी-पीसीआर एवं एंटीजन टेस्ट में लगी रहती है। पिछले साल से शुरू हुआ यह सिलसिला अभी तक खत्म नहीं हुआ है।
अब तक 7800 लोगों की कर चुकी है जांच
जीएनएम किरण कुमारी पिछले कोरोना काल के अगस्त माह में सिकंदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपना योगदान दिया था। तब से लेकर अब तक बिना छुट्टी अर्थात कोई अवकाश नहीं लिया। लगातार कर्तव्यों के प्रति ईमानदारी व उसकी समर्पित भावना मिसाल पेश कर रही है। किरण प्रतिदिन 50 से अधिक लोगों की जांच कर उसके स्वैव लैब को भेजती है। किरण की मानें तो वे अब तक 7800 लोगों का टेस्ट किया है।
परिवार का मिला साथ तो कोरोना को हराने का लिया प्रण
पूरे नौ महीने की तपस्या में किरण के परिवार वालों ने भरपूर साथ दिया। किरण के पति खेती गृहस्थी करते हैं। किरण के दो बेटे एवं एक बेटी है, जिन्हें खुद संभालती है। हालांकि, आज कल किरण के पति व उसकी सास बच्चों के देखभाल में लगे हैं। किरण बताती है कि पूरे दिन पीपीई कीट पहनकर काम करने में परेशानी तो है ही परंतु लोगों की सेवा के आगे यह कोई मायने नहीं रखता है। उन्होंने बताया कि दो महीने के कार्यकाल के दौरान ही वह संक्रमित हो गई थी। वह घबराई नहीं, बल्कि डटकर कोरोना का मुकाबला कर उसे मात दिया और पुनः अपने कर्तव्यों पर लौट कर लोगों की सेवा लग गई। किरण कहती हैं कि कोरोना से डरना नहीं, बल्कि डटकर मुकाबला करना है। सरकार ने उन्हें काम करने का अवसर दिया है तो वह डटकर मुकाबला कर संक्रमितों की जान बचाएगी।