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Horrific Bhagalpur Fire : अग्निपीडि़तों को मिला एक ग्‍लास दूध, तो भूल गए सारे गम, भूखे बच्‍चों को मिला आहार

Horrific Bhagalpur Fire सरकार से मदद की आस लगाए बैठे है कसमाबाद के अग्नि पीड़ित। उजड़ गया पीड़ित का आशियाना छत व छांव की आस। नहीं पहुचे कोई अधिकारी लोगो मे पनप रहा आक्रोश। राहत के नाम पर की जा रही है खानापूर्ति।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 11:04 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 11:04 AM (IST)
Horrific Bhagalpur Fire : अग्निपीडि़तों को मिला एक ग्‍लास दूध, तो भूल गए सारे गम, भूखे बच्‍चों को मिला आहार
भूखे बच्‍चे को मिला दूध, कई दिनों बाद मिटी भूख।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। मंगलवार को कसमाबाद गांव में लगे भीषण आग लगने से चारों ओर तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। आग की तपिश में पीड़ित के आंख से आंसू भी सूख गये हैं। नारायणपुर प्रखंड के बैकठपुर दुधैला पंचायत के कसमाबाद गांव के अग्निपीड़ितों की हालत यह है कि वे ठीक से रो भी नहीं पा रहे हैं।

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सगे-संबंधियों के आने पर घरों की महिलाएं चिल्ला रही हैं। लेकिन, उनकी आखों से आंसू नहीं निकल रहा है। मंगलवार को हुई भीषण अग्निकांड में 12 सौ परिवारों का सब कुछ जल कर खाक हो गया। दो दर्जन से अधिक मवेशी भी जल गये।

आलम यह है कि इस घटना की खबर पाकर आनेवाले सगे-संबंधी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि इन्हें किस घर में जाना है। गांव की पहचान राख की ढेर बन गयी है। मंगलवार की सुबह हरा-भरा दिखनेवाला कसमाबाद उजड़े चमन की तरह है। झोपड़ी, खपरैल का मकान अग्नि की भेंट चढ़ चुके हैं। सिर छुपाने की भी जगह नहीं बची है। इन गांवों के एक सौ से अधिक पेड़ भी आग में झुलस कर खराब हो चुके हैं। झुलस कर मरे जानवरों के शव का भी निष्पादन नहीं हो सका है। इस वजह से स्थिति और भयावह होती जा रही है। बुधवार को दिन के दस बजे तक इन तीनों गांवों में मलबा हटाने का कोई उपाय नहीं किया गया है। पीड़ित अब महामारी फैलने की आशंका से भयभीत हैं।

एक ग्‍लास दूध मिला

एक ग्‍लास दूध मिलने से लोग काफी राहत महसूस कर रहे हैं। बच्‍चे भूख से व्‍याकूल हैं। इस बीच राहत के नाम में जैसे ही एक ग्‍लास दूध मिला, सभी अपने पुराने गम भूल गए।

रिश्तेदार कर रहे हैं सहायता

अग्निपीड़ितों को आसपास के ग्रामीण सहायता तो, कर ही रहे हैं। साथ ही रिश्तेदार भी मदद करने में पीछे नहीं हैं। जिसे अगलगी की खबर मिली, वह ऑटो, ट्रैक्टर व ई रिक्शा आदि से खाद्यान्न तथा वस्त्र आदि लेकर अपने-अपने रिश्तेदारों के यहां पहुंचना शुरू कर दिया है। इससे पीड़ितों को काफी राहत मिल रही है। राहत सामग्री उपलब्ध कराने के दौरान उनकी आंखे नम हो गई। मौके पर पहुचे रिश्तेदारों ने यहां प्रशासन द्वारा अब तक कोई सहायता नहीं किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की। लगातार प्रत्येक घरों में उनके सगे-संबंधी सहायता सामग्री लेकर पहुंच रहे हैं।

अधिकारी व प्रशासन गंभीर नहीं

गांव की स्थिति देखकर यह साफ लग रहा है कि जिस प्रकार की यहां अग्निकांड हुआ है। उस हिसाब से प्रशासन पीड़ितों की मदद के मामले में गंभीर नहीं है। पीड़ित परिवारों के सामने खुले आकाश के नीचे सोने की मजबूरी है। महिलाएं अपने बच्चों को दिन में पेड़ के नीचे तो रात्रि में साड़ी से बने तंबू में लेकर समय काट रहे हैं। अब तक अग्निपीड़ितों के लिए केवल सूखा राशन का प्रबंध किया गया है।

तंबू लगाने के लिए प्लास्टिक सीट दिया गया है। प्रशासन द्वारा अगलगी में मरे पशुओं का आकलन भी नहीं किया गया है। राहत व बचाव कार्य के प्रति अधिकारी व प्रशासन का रवैया ढीला-ढाला है। इससे पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।


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