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इनके जज्बे को सलाम... नक्सली से सीधे भीड़ गई थी अर्पिता राज, गौरव ने असमाजिक तत्वों के मनसूबे को नहीं होने दिया कामयाब, अब सीएम ने किया सम्मानित

नक्सलियों से लोहा लेने वाली जमुई की अर्पिता को सीएम ने सम्मानित किया। वहीं मो हिफजूर रहमान और गौरव ङ्क्षसह राठौर को समाजिक सौहादर्य बनाए रखने के लिए सम्मनित किया गया। सभी को पटना में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सम्‍मानित किया गया।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 01:09 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 01:09 PM (IST)
इनके जज्बे को सलाम... नक्सली से सीधे भीड़ गई थी अर्पिता राज, गौरव ने असमाजिक तत्वों के मनसूबे को नहीं होने दिया कामयाब, अब सीएम ने किया सम्मानित
नक्सलियों से लोहा लेने वाली जमुई की अर्पिता को सीएम ने सम्मानित किया।

जागरण संवाददाता, जमुई। नक्सलियों से लोहा लेने वाली युवती और उत्पन्न सांप्रदायिक तनाव को सूझबूझ से शांत करने वाले दो पुरुष को उत्कृष्ठ कार्य के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना स्थित मिथिलेश स्टेडियम में बिहार पुलिस वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में सम्मानित किया। साथ ही दस हजार नगद व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। सम्मानित होने वाली युवती अर्पिता ने जहां अदम्य साहस का परिचय दिया था। वहीं मो हिफजूर रहमान और गौरव सिंह राठौर ने सांप्रदायिक आग को सूझबूझ से ठंडा कर समाज को जलने से बचा लिया था।

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मलयपुर निवासी राजबहादुर की बेटी अर्पिता राज नक्सलियों से भीड़ गई थी। उसका राइफल छीन लिया था। तीन गोली लगने के बावजूद अर्पिता ने राइफल नहीं छोड़ी थी। दरअसल मलयपुर निवासी स्वर्ण व्यवसायी राजबहादुर के घर पर सात मई 19 को नक्सलियों ने हमला कर दिया था। दर्जनों नक्सलियों ने घर घेर लिया था तो 15 से 20 की संख्या में नक्सली घर में घूस आए थे और राजबहादुर पर हथियार तान दिया था। इसी दौरान उनकी बेटी अर्पिता राज मौके पर पहुंच गई और सीधे नक्सली के हथियार पर टूट पड़ी। उसके हिम्मत से नक्सली घबराए नक्सलियों ने लगातार तीन गोली उसे मार दी लेकिन अर्पिता ने राइफल नहीं छोड़ा। इसके बाद अर्पिता अस्पताल में मौत को मात देकर स्वस्थ हुई।

अर्पिता के हिम्मत की चर्चा खूब हुई। इधर, शहर के आजाद नगर निवासी शिक्षक हिफजूर रहमान को सांप्रदायिक तनाव को शांत करने के लिए बेहतर कार्य करने पर प्रशस्ति पत्र व नगद राशि दस हजार रुपया दिया गया। दरअसल पिछले वर्ष सदर प्रखंड के संगथु गांव स्थित मस्जिद के बगल में झंडा लगाने की वजह से दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न गई थी। उस दौरान शिक्षक हिफजुर रहमान द्वारा काफी सूझबूझ एवं कड़ी मशक्कत से दोनों समुदायों के लोगों को समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया गया था। साथ ही विधि व्यवस्था को सामान्य बनाने में भी इनका काफी योगदान रहा था। इस संबंध में शिक्षक हिफजूर रहमान ने कहा कि शिक्षक बच्चे सहित समाज को सही रास्ता दिखाता है।


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