यज्ञ से ही होता है सृष्टि का संचालन और समपोषण
मसाढू में चल रहे लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में गुरुवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी यज्ञ की धुनी से निकले धुएं को शरीर से स्पर्श कराने को आतुर दिखे।
भागलपुर। मसाढू में चल रहे लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में गुरुवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी यज्ञ की धुनी से निकले धुएं को शरीर से स्पर्श कराने को आतुर दिखे। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यज्ञ में आहुति देकर पंडाल की परिक्रमा कर रहे थे।
गुरुधाम से आए मुख्य पंडित सुबीर मिश्र ने यज्ञ की महत्ता बताई। कहा कि यज्ञ विद्या को ही सृष्टि विद्या कहा जाता है। यज्ञ से ही सृष्टि का संचालन और समपोषण होता है। गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यज्ञ के महत्व को बताते हुए कहा था कि अन्न के द्वारा ही प्राणियों की उत्पत्ति और समपोषण संभव है। अन्न बगैर बारिश के नहीं हो सकता। बारिश एवं ॠतुओं के संचालन की प्रक्रिया यज्ञ से ही संभव है। इसलिए हे अर्जुन तुम यज्ञ करो। शास्त्र सम्मत विचारों में विश्व कल्याण, परोपकार, आध्यात्मिक उन्नयन, राष्ट्र समृद्धि के निमित्त यज्ञ करना चाहिए।
यज्ञ करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। खुद की सुख समृद्धि के साथ-साथ समाज और देश का भी कल्याण होता है। जहां यज्ञ होता है, वहां की धरती अति पवित्र हो जाती है। यज्ञ का धुआं जहां तक जाता है सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है। पहुंच रहीं 25 गांवों की महिलाएं
यज्ञ के संचालनकर्ता सुमन कहते हैं कि कोरोना काल के बाद इलाके में पहली बार लंबे इंतजार के बाद यज्ञ हो रहा है। यह आयोजन एक वर्ष पूर्व ही होना था लेकिन कोरोना की वजह से अभी हो रहा है। लंबे समय से महिलाएं घर में बंद थीं। उन्हें मौका मिला है तो वे खुलकर यज्ञ में अपना योगदान दे रही हैं।
सजग हैं कमेटी के लोग
जिला परिषद महेश यादव ने कहा कि कमेटी के लोग काफी सक्रिय हैं। यज्ञ देखने आ रहे हजारों लोगों का ख्याल रखा जा रहा है। उन्हें समुचित सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की गई है।