स्टार्टअप का दम... विदेशों में धूम मचा रही देसी चाय, किसानों के जीवन में ला रहे खुशहाली
भागलपुर में दो भाइयों ने स्टार्टअप के माध्यम से व्यवसाय की शुरुआत की और लाखों कमा रहे हैं। पीरपैंती के दुबौली गांव के रहने वाले ये दोनों भाई किसानों के जीवन में भी खुशिहाली ला रहे हैं। अब वे भी लेमन ग्रास की खेती करने लगे हैं।
भागलपुर [ललन तिवारी]। लेमन ग्रास और उससे तैयार लेमन टी... भागलपुर और आसपास के इलाके तक सिमटा यह नाम आज विदेशी लोगों के जुबां पर है। दरअसल, ये सब साकार हो सका है स्टार्टअप से। आज से करीब डेढ़ साल पहले दो सगे भाई रमण दुबे और रोनक दुबे ने स्टार्टअप के माध्यम से एग्रीफीडर नाम से एक कंपनी की शुरुआत की। इस कंपनी के माध्यम से उन लोगों ने लेमन ग्रास से हर्बल चाय तैयार कर बाजार में उतारा। देखते ही देखते यह लोगों की पसंदीदा बन गई। इसके बाद ऑनलाइन माध्यम से उन लोगों ने इसकी बिक्री दूसरे देशों में भी शुरू की, वहां भी इसकी खूब मांग होने लगी।
2015 में अन्ना यूनिवसिटी चेन्नई से बीटेक की पढ़ाई पूरी करने करने वाले रोनक दुबे बताते हैं कि उन्हें कई कंपनियों से लाखों के पैकेज का ऑफर आया, लेकिन उन्होंने स्टार्टअप की ओर रुख किया। इस काम में बंगलुरु में एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके छोटे भाई रमण दुबे ने भी बराबर का साथ निभाया। इसके बाद वर्ष 2017 में उनका चयन बिहार स्टार्टअप प्रोग्राम के लिए हुआ। यहां से निकलने के बाद उन लोगों ने एग्री फीडर कंपनी बनाई।
किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र
बिहार कृषि विवि में चल रहे किसान मेला में दोनों भाइयों ने भी अपना स्टॉल लगाया है। यहां बड़ी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं और लेमन ग्रास की खेती के बारे में जानकारी ले रहे हैं। रौनक बताते हैं कि पहले जिस जमीन पर फसल का उत्पादन काफी कम होता था, अब उसी जमीन पर लेमन ग्रास की खेती कर वे लोग अच्छी आय कमा रहे हैं। इसके लिए वे गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। आने वाले समय में वे लोग और भी कई औषधीय पौधों की खेती करने जा रहे हैं।
ऑनलाइन करते हैं चाय की मार्केटिंग
प्रिया पांडेय और रोनक दुबे बताते हैं कि अब तक ऐसी मान्यता थी कि लेमन ग्रास की केवल हरी पत्तियों का ही उपयोग हो सकता है, लेकिन उन लोगों ने लेमन ग्रास की सूखी पत्तियों का उपयोग कर चाय बनाना शुरू किया है। इसका परिणाम भी बेहतर आ रहे हैं। चाय तैयार करने के लिए लेमन ग्रास की प्रोसेसिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि उन लोगों ने अब तक कही स्टॉल नहीं खोला है, मार्केटिंग का काम वे लोग ऑनलाइन कर रहे हैंं। अब तक के भागलपुर जिला के पहले स्टार्टअप हैं।