बाढ़ ने इन इलाके के किसानों के अरमानों पर फेरा पानी, खेत में ही डूब गई फसल
बाढ़ की मार ने सीमांचल के किसानों को तबाह कर दिया है। सबसे अधिक नुकसान केसर्रा हरदार तारण काकन डूबा बगडहरा गैरकी भगवानपुर कुरसेल पथराबाडी पछियारी पिपरा दभडा़ गिरदा मटियारी सिमरिया चैनपुर मसुरिया भूना मजगामा चौकता चीरह चकई पंचायत के किसानों को हुआ है।
अररिया, जेएनएन। जिले की तीन प्रमुख नदियां बकरा, कनकई तथा परमान जोकीहाट प्रखंड क्षेत्र से होकर बहती है। बाढ के कारण धान की फसल चौपट हो गई। किसानों के चेहरे ङ्क्षचता से सूख रहे हैं। वर्ष 2020 में प्रकृति ने तो किसानों पर और भी अधिक कहर बरपा दिया है। पहले कोरोना संक्रमण को लेकर किसानों के उत्पाद मक्का और गेहूं खरीदार की कमी के कारण औने पौने दाम में बेचना पड़ा।
किसान रबी फसल के घाटे से उबरने के लिए खरीफ की फसल धान की रोपाई कर्ज लेकर जैसे तैसे किया। खेतों में फसल भी इस वर्ष अच्छी थी। किसानों ने सोचा था कि इस बार धान की अच्छी पैदावार होगी। लेकिन जाते जाते बरसात और बाढ़ की कहर ने लहलहाती धान की फसलों को डूबा दिया। केसर्रा, हरदार, तारण, काकन, डूबा, बगडहरा, गैरकी, भगवानपुर, कुरसेल, पथराबाडी, पछियारी पिपरा, दभडा़, गिरदा, मटियारी, सिमरिया, चैनपुर मसुरिया, भूना मजगामा, चौकता, चीरह, चकई पंचायत के किसानों को भारी नुकसान हुआ है। तारण पंचायत के सरपंच खुर्शीद आलम, केसर्रा पंचायत के पूर्व सरपंच जवाहरलाल दास, कजलेटा गांव के मो मोजीबुर्रहमान, डूबा के मास्टर मोकर्रम आदि ने बताया कि इस बार धान की फसल अच्छी लगी थी लेकिन बेदर्द बाढ ने एकबार फिर किसानों को कंगाल बना दिया। किसानों ने राज्य सरकार से फसल मुआवजा देने की मांग की है। गौरतलब है कि जोकीहाट प्रखंड क्षेत्र के किसानों का मुख्य फसल आज भी धान ही है जिससे साल भर घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई से लेकर बेटे और बेटियों की शादी का बजट भी धान की फसल बेचकर पूरा होता है। लेकिन
बाढ़ की चपेट में आने से किसानों की फसलें इस बार भी बर्बाद हो गई। छोटे और मझोले किसान महाजन से ऋण लेकर धान की फसल की रोपाई की थी। खेतों में लहलहाते फसलों को देखकर किसान खुश थे। लेकिन बाढ़ ने एक झटके में सारे अरमान ही डूबो दिए।