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एनएच 80 टू लेन बाइपास का नहीं निकल पाया रास्ता, आठ साल पहले मिली थी स्वीकृति

डुमरा से तहदिया तक लगभग 9 किमी लंबी बाइपास रेलवे लाइन के पूरब से बनाए जाने का पारित हुआ प्रस्ताव विभागीय उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। मोकामा-फरक्का एनएच 80 के मुंगेर-मोकामा सेक्शन टू लेन सड़क के लिए बड़हिया में बाइपास बनाने का प्रस्ताव 2012 में दिया गया था।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 05:41 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 05:41 PM (IST)
एनएच 80 टू लेन बाइपास का नहीं निकल पाया रास्ता, आठ साल पहले मिली थी स्वीकृति
सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढे जानलेवा हो गए हैं।

लखीसराय, जेएनएन। विकास पुरुष कहलाने एवं इसका श्रेय लेने के लिए लखीसराय जिले के प्रतिनिधियों की ओर से समय-समय पर पर कई तरह के तिकड़म किए जाते रहे हैं। राज्य सरकार भी राज्य की राजधानी तक कम से कम समय पर पहुंचने के लिए सड़कों का जाल बिछाए जाने का दावा करती रही है। वहीं पटना की सीमा से सटे बड़हिया में बाइपास निर्माण के प्रति उदासीनता के कारण सरकार और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि आज जनता के कठघरे में खड़े हैं। मोकामा-फरक्का एनएच 80 के मुंगेर-मोकामा सेक्शन टू लेन सड़क के लिए बड़हिया में बाइपास बनाने का प्रस्ताव फाइलों में बंद रह गया। इस महत्वपूर्ण सड़क को 2012 में राष्ट्रीय राज मार्ग 80 घोषित किया गया था। बड़हिया की संकीर्ण सड़क एवं जाम से निबटने के लिए पटना जिले के डुमरा से तहदिया तक लगभग 9 किलोमीटर की दूरी का बाइपास रेलवे लाइन के पूरब से बनाए जाने का प्रस्ताव पारित हुआ था। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा गजट भी निकाला गया था।

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भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले तहदिया-गंगासराय के कुछ किसानों ने नगर पंचायत की वास की जमीन के दर से भूमि मुआवजा की मांग करने लगे। जबकि एनएचएआइ कृषि भूमि का मुआवजा देने की बात कह रही थी। तत्कालीन एनएचएआइ के क्षेत्रीय अधिकारी कर्नल चंदन वत्स ने स्थल निरीक्षण भी किया और ग्रामीणों से संपर्क भी किया था। इसका रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारी को सौंपा था। रिपोर्ट में कहा था कि बड़हिया नगर के पूरब गंगा नदी, पश्चिम रेलवे लाइन है। दोनों के बीच की दूरी डेढ़ किलोमीटर है जिसमे लगभग 50 हजार की घनी आबादी रहती है। इस डेढ़ किलोमीटर के बीच ही एनएच 80 सहित तीन समानांतर ग्रामीण सड़क भी गुजरती है। अगर चौथी सड़क एनएच 80 बाइपास बनती है तो काफी लोग इससे प्रभावित होते हैं। इसके विकल्प में ग्रामीणों ने उन्हें रेलवे लाइन के पूरब बाइपास बनाने का प्रस्ताव दिया था। क्षेत्राधिकारी चंदन वत्स ने इस प्रस्ताव को एनएचएआइ मुख्यालय दिल्ली को भी भेजा था। इसके बाद विजिलेंस दल द्वारा भी इसकी जांच की गई। इधर ग्रामीण किसान विरोध में न्यायालय की शरण में चले गए। इसके बाद मामला लटक गया। दुखद पहलू है कि डुमरा से तहदिया तक कि 9 किलोमीटर सड़क एनएच 80 का रख रखाव करना भी विभाग ने छोड़ दिया लेकिन वाहनों से टोल टैक्स लिया जाता है। रख रखाव नहीं होने के कारण इंदुपुर, चुहरचक, गंगासराय आदि जगहों पर एनएच 80 जर्जर है। सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढे जानलेवा हो गए हैं। जर्जर सड़क के कारण नित्य दिन दुर्घटना होती है तथा जाम लगते रहता है। इससे लोगों में आक्रोश भी है लेकिन पांच साल के अंदर कभी भी खुले मंच से क्षेत्रीय विधायक ने इस समस्या के संबंध में अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी। उल्टे नेताओं ने पटना जाने का रास्ता बदलकर शेखपुरा की तरफ रुख कर लिया।

बड़हिया में एनएच 80 बाइपास निर्माण के लिए कई बार मंत्रालय एवं विभाग को पत्र भेजा गया है। विभाग के मंत्री से भी कहा गया है कि मोकामा में बनने वाली सिक्स लेन सड़क व पुल को लखीसराय तक मिला दिया जाए। इससे बाइपास सड़क की समस्या का समाधान हो जाएगा। इससे लोगों को भी परेशानी से मुक्ति मिल जाएगी। विभाग के मंत्री ने आश्वासन भी दिया है। - विजय कुमार सिन्हा, विधायक लखीसराय सह मंत्री, श्रम संसाधन, बिहार


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