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अर्जुन और आसन के पौधे से पूरे होंगे 'रेशमी सपने', आदिवासी क्षेत्रों से हुई शुरुआत

प्रमंडलीय क्षेत्रों में रेशम के उत्‍पादन के लिए अर्जुन और आसन के पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए वन विभाग ने योजना बनाई है। आदिवासी क्षेत्रों से यह पहल होगी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 08:56 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 08:56 AM (IST)
अर्जुन और आसन के पौधे से पूरे होंगे 'रेशमी सपने', आदिवासी क्षेत्रों से हुई शुरुआत
अर्जुन और आसन के पौधे से पूरे होंगे 'रेशमी सपने', आदिवासी क्षेत्रों से हुई शुरुआत

भागलपुर, जेएनएन। भागलपुर और बांका के आदिवासी इलाकों में अब रेशमी सपने पलेंगे। इसके लिए वन प्रमंडल भागलपुर ने यहां अर्जुन और आसन के पौधे लगाने की योजना तैयार की है। इनके पेड़ों पर रेशम कीट का पालन होगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।

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रेशम कीट के पालन से आदिवासियों को लाभ मिलेगा। 3.20 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले बांका जिला के 402 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्रफल घोषित है। यहां 230 वर्ग किलोमीटर में सखुआ, अकेलिया, सागवान, महुआ, पलाश, चकुंडी, खैर समेत कई प्रजातियों के 18 लाख पेड़ लगे हुए हैं। शेष 180 वर्ग हजार किलोमीटर वन क्षेत्र सूईया, कटोरिया, कधार, सुखरथ आदि में इस साल 11 लाख पेड़ लगाए जाएंगे। जबकि डेढ़ लाख पौधे वन विभाग की ओर से मनरेगा को उपलब्ध कराए जाएंगे। एक हेक्टेयर में एक लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। विभाग के अनुसार वन क्षेत्र नहीं बल्कि हरित आवरण क्षेत्र बढ़ता है। बांका जिले के क्षेत्रफल के मुताबिक 14 फीसद हरित आवरण क्षेत्र है। 

मुख्‍य बातें

-2569 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले भागलपुर जिले में वन एवं पर्यावरण विभाग चार लाख पौधे लगाएगा।

-2.5 लाख शरीफा, आंवला आदि फलदार वृक्ष कहलगांव के महादेव पहाड़ और शाहकुंड के पुरानी खैरी पहाड़ पर लगाए जाएंगे

-54 हजार मैदानी क्षेत्र में नीम, मोहगनी, जामुन, अर्जुन, कौवा आदि पौधे लगाए जाएंगे

-दो सालों में वर्षाकालीन पौधारोपण से नमामि गंगे अंतर्गत जिले में 80 हजार पौधे लगाए गए हैं 

भागलपुर में वन क्षेत्र घोषित नहीं है। वर्ष 2020-21 में चार लाख पौधे लगाए जाएंगे। ढाई लाख पहाड़ी क्षेत्रों में फलदार और मैदानी क्षेत्रों में डेढ़ लाख से पौधे लगाए जाएंगे। -एस सुधाकर, डीएफओ, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, भागलपुर।

अर्जुन और आसन के पेड़ों पर रेशम कीट का पालन होगा। इससे  लोगों को लाभ मिलेगा। अनुसूचित जाति और जनजाति समाज के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। -राजीव रंजन, डीएफओ, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बांका। 


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