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Corona effect : इस बार अपने समाचार पत्र वितरक को खुश कर दीजिए

अगले सप्ताह उन्हें मार्च के साथ अप्रैल का भी एडवांस बिल भुगतान कर दीजिए। आपकी सदाशयता से उस कर्मयोगी का हौसला बढ़ जाएगा और परिवार के भरण-पोषण की सहूलियत भी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 09:58 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 09:58 AM (IST)
Corona effect : इस बार अपने समाचार पत्र वितरक को खुश कर दीजिए
Corona effect : इस बार अपने समाचार पत्र वितरक को खुश कर दीजिए

भागलपुर, जेएनएन। कोरोनाजन्य लॉकडाउन ने हमें वर्क फ्राम होम के लिए मजबूर कर दिया। हम अपने परिवार के साथ सुरक्षा-स्वच्छता मानकों का पालन करते हुए अपनी सारी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं, पर हर सुबह हमारे दरवाजे समाचार पत्र पहुंचाने वाले वितरकों के पास यह विकल्प नहीं है। उनकी भोर में जागकर सेंटर पहुंचने, अखबार का बंडल उठाने और फिर हमारे दरवाजे तक पहुंचाने की कठिन दिनचर्या पूर्ववत जारी है। कोरोना की दहशत के बीच ड्यूटी कर रहे चिकित्साकर्मियों, पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों के लिए प्रधानमंत्री ने तालियां-थालियां बजवा दीं तो क्यों न हम-आप इस महीने अपने समाचार पत्र वितरक को भी खुश कर दें। अगले सप्ताह उन्हें मार्च के साथ अप्रैल का भी एडवांस बिल भुगतान कर दीजिए। आपकी सदाशयता से उस कर्मयोगी का हौसला बढ़ जाएगा और परिवार के भरण-पोषण की सहूलियत भी।

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सभी मीडिया संस्थानों के अलावा केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, देश-प्रदेश के शीर्षस्थ चिकित्सा संस्थानों, अनुसंधान संस्थानों, माइक्रोलॉजी विज्ञानियों और दिग्गज हस्तियों द्वारा तार्किक ढंग से स्पष्ट कर दिए जाने के बाद यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि समाचार पत्रों के जरिए कोरोना संक्रमण की आशंका निर्मूल है। यह भरोसा पक्का करने के लिए बड़ी हस्तियां अखबार पढ़ते हुए अपने चित्र वायरल कर रही हैं। इससे स्वाभाविक रूप से समाचार पत्र वितरकों और पाठकों के मन से आशंकाएं दूर हो गई हैं और समाचार पत्र कोरोना समेत सभी सामयिक विषयों पर अद्यतन एवं प्रामाणिक कंटेेंट अपने पाठकों तक पहुंचाने की भूमिका पूरे मनोयोग से निभा रहे हैं। देश-दुनिया की सारी तटस्थ एजेंसियां मान रही हैं कि कोरोना को लेकर तरह-तरह की अफवाहों और अवैज्ञानिक सूचनाओं की भरमार से विचलित हुए बगैर समाचार पत्रों ने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी का परिचय देते हुए सिर्फ विश्वसनीय समाचार ही आप तक पहुंचाए। चूंकि अन्य माध्यमों की सूचनाओं पर भरोसा नहीं किया जा सकता, इसलिए लॉकडाउन के दौरान समाचार पत्र ही आपके पास एकमात्र भरोसेमंद माध्यम हैं।

वैसे भी समाचार पत्र, खासकर दैनिक जागरण आपके परिवार के सदस्य जैसा है और इसे हर सुबह आपके दरवाजे पहुंचाने वाला वितरक आपके परिवार का शुभचिंतक। समाचार पत्र आपको हर रोज निर्बाध मिलता रहे, इसके लिए जरूरी है कि समाचार पत्र वितरक का हौसला बुलंद रहे। आपके पास अवसर है कि अगले सप्ताह अपने समाचार पत्र वितरक को कोरोना संक्रमण से बचाव के सारे एहतियात का पालन करते हुए अपने दरवाजे बुला लें और दो महीने का बिल भुगतान करके उसके कठिन कर्तव्य निर्वहन की सराहना करें। आपके पास अन्य माध्यमों से भी बिल भुगतान का विकल्प मौजूद है। तो आइए, इस महीने खुश कर देते हैं अपने समाचार पत्र वितरक को।

कर्मयोगी ने कहा

कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन है। इसके बावजूद कर्मयोगी आपके घरों तक अखबार पहुंचा है। कर्मयोगियों को अखबारों के काउंटर पर नगद पैसे देकर अखबार खरीदना पड़ रहा है। लोगों के घरों में कैद रहने की वजह से नगद इनकम नहीं हो पा रहा है। मार्च और अप्रैल का एक साथ भुगतान होने से कर्मयोगियों को राहत मिलेगी। - हरविंद नारायण भारती

लॉक डाउन की वजह से लोग घर से नहीं निकल रहे हैं। ऐसे में घर के राशन सब्जी और दूध का इंतजाम करने में कर्मयोगियों को परेशानी हो रही है। अखबार भी खरीदना है। नगद भुगतान नहीं होने से कर्मयोगियों को आर्थिक संकट हो रहा है। इसलिए ग्राहक अखबार का भुगतान समय पर करते रहेंं। - जीवन घोष


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